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उत्तराखण्ड विशेष तथ्य

उत्तराखण्ड के पाताल भुवनेश्वर गुफा में है कलयुग के अंत के प्रतीक

फोटो  वाया- नव उत्तराखंड

पाताल भुवनेश्वर उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट कस्बे से लगभग 14 किमी दूर स्थित एक विशालकाय गुफा है जो कि  चूना पत्थर से निर्मित गुफा है।

फोटो  वाया- Gosahin.com




लोकसाहित्य के अनुसार यह भूमिगत गुफा भगवान् शिव व 33 करोड़ देवी देवताओं से प्रतिष्ठापित है। यह गुफा 90फीट गहरी और 160मीटर लम्बी है। यह मात्र गुफा ही नहीं वरन भक्तों की आस्था का केंद्र व बहुत सुन्दर रमणीय पर्यटन स्थल भी है। पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं है। गणेशजी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया था, लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया, वह शिव ने इस गुफा में रख दिया।





पाताल भुवनेश्वर में गुफा में भगवान गणेश के कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इससे ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था। यह संपूर्ण परिसर 2007 से भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा अपने कब्जे में लिया गया है।
क्या है यहाँ विशेष ??????    

केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के होते हैं दर्शन 
इस गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। यहाँ अनेक शिलारुप मूर्तियां विराजमान है, जिनमें बद्री पंचायत की शिलारुप मूर्ति विशेष है, जिसमें गणेश, लक्ष्मी, वरुण, यम कुबेर और वरूण सम्मिलित हैं।

फोटो  वाया- उत्तराखण्ड देवभूमि  
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित तांबे का शिवलिंग





कलयुग का कब होगा अंत???    

फोटो  वाया-Uttarakhand tourism

गुफा में चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग) के प्रतिक रुप में चार लिंग रुपी पत्थर स्थापित है। जिनमें से कलयुग रुपी पत्थर धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ रहा है। एसी धारणा है कि जिस दिन यह कलयुग रुपी पत्थर बढते – बढते ऊपरी चट्टान से टकरा जायेगा उस दिन कलयुग का अंत हो जायेगा।





पौराणिक महत्व

स्कन्दपुराण में वर्णन के अनुसार  स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहाँ आते हैं। यह भी वर्णन है कि त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफ़ा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफ़ा के भीतर महादेव शिव सहित 33 कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का 822 ई के आसपास इस गुफ़ा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया।पुराणों के अनुसार त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा को राजा ऋतूपूर्ण ने देखा था , द्वापर युग  में पांडवो ने और कलयुग में जगत गुरु शंकराचार्य का 722 ई के आसपास इस गुफा से साक्षत्कार हुआ तो उन्होंने यहां ताम्बे का एक शिवलिंग स्थापित किया। चंद शासको द्वारा अपने शासनकाल में इसकी खोज की गयी थी।

रूप कुंड- रूप कुंड के दर्शन आप पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर कर सकते है।

फोटो  वाया- ezitours.in


पाताल भुवनेश्वर चित्र अस्वीकरण(Disclaimer): पाताल भुवनेश्वर से सम्बंधित फोटो विभिन्न ऑनलाइन स्रोतों से ली गयी हैं, और संबंधित मालिक के क्रेडिट / स्रोत का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। आप वास्तविक पाताल भुवनेश्वर की छवि [email protected] पर भेज सकते है अथवा देवभूमि दर्शन पेज पर मैसेज के माध्यम से भी भेज सकते है, पेज का प्रोफाइल नीचे दिया गया है।

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