uttarakhand: नहीं रहे कुमाऊंनी साहित्य के पुरोधा मथुरादत्त मठपाल (Mathura Dutt Mathpal), साहित्य जगत में शोक की लहर..
उत्तराखण्ड (uttarakhand) के साहित्य जगत से एक दुखद खबर आ रही है। कुमाऊंनी कवि, प्रसिद्ध साहित्यकार एवं कुमाउनी पत्रिका दुदबोली के संपादक मथुरा दत्त मठपाल (Mathura Dutt Mathpal) का रविवार सुबह निधन हो गया है। वे 80 वर्ष के थे। बीते दो माह से न्यूरो सम्बंधित बीमारी से पीड़ित मथुरादत्त मठपाल ने आज सुबह साढे़ सात बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली। गमहीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार रामनगर मोक्षधाम में किया गया जहां उनकी चिता को उनके पुत्र नवेन्दु मठपाल, भतीजे दिनेश मठपाल और प्रकाश मठपाल ने मुखाग्नि दी। स्व. मठपाल अपने पीछे भरे पूरे परिवार को रोते-बिलखते छोड़ गए हैं। उनके निधन पर की खबर से उत्तराखंड के साहित्य जगत में शोक की लहर है।
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बता दें कि कुमाऊंनी साहित्य के पुरोधा मथुरादत्त मठपाल का जन्म 29 जून 1941 को अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण क्षेत्र के नौला गांव में हुआ था। उन्होंने इंटर कालेज विनायक, भिकियासैंण में इतिहास के प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं दी, जहां से सेवानिवृति के उपरांत उन्होंने वर्ष 2000 में ‘दुदबोलि’ नाम से कुमाऊंनी पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया। बतौर संपादक उन्होंने दुदबोलि के 24 त्रैमासिक (64 पृष्ठ) अंक निकाले जिसके बाद 2006 में इसे वार्षिक (340 पृष्ठ) तौर पर प्रकाशित किया गया। इस कुमाऊनी पत्रिका का 20 सालों तक अनवरत रूप से संपादन करने वाले मठपाल को अनेकों सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें 1988 में उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान से सुमित्रा नंदन सम्मान, 2011 में उत्तराखंड भाषा संस्थान से डाॅ. गोविंद चातक सम्मान एवं 2014 में मिला साहित्य अकादमी भाषा सम्मान प्रमुख हैं। इतना ही नहीं उनके स्वयं रचित पांच काव्य संकलन भी प्रकाशित हो चुके हैं।
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