Thumka Garhwali Song: पहाड़ी सभ्यता एवं संस्कृति की सारी मर्यादाओं को कलंकित करते हुए शराब एवं अश्लीलता को बढ़ावा देता है यह गीत, यूकेडी ने दर्ज कराई एफआईआर…
गीत संगीत किसी भी सभ्यता एवं संस्कृति की एक अनूठी पहचान होते हैं। वैसे तो उत्तराखण्ड संगीत जगत ने भी यहां की पहाड़ी सभ्यता एवं संस्कृति को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, सच कहें तो उत्तराखंड लोकसंगीत के द्वारा ही हमारी पहाड़ी सभ्यता एवं संस्कृति देश-विदेश में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो रही है। परंतु बीते दिनों यूट्यूब पर रिलीज हुए गढ़वाली गीत ‘ठुमका’ को देखकर लगता है कि अब संगीत जगत ने गलत दिशा अख्तियार कर ली है। क्योंकि भोजपुरी संगीत जगत की तर्ज पर हुआ यह गढ़वाली गीत ‘ठुमका’ न केवल हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की सारी मर्यादाओं को कलंकित करता है अपितु शराब एवं अश्लीलता को भी बढ़ावा देता है। इस गीत को देखते हुए यह कहना बिल्कुल भी नहीं होगा कि कहने को भले ही यह गढ़वाली बोली-भाषा का एक गीत हों परन्तु इसमें गढ़वाली सभ्यता एवं संस्कृति की झलक तक देखने को नहीं मिलती हैं। यही कारण हैं आज समाज के जागरूक वाशिंदे इस गीत के विरोध में उतर आए हैं। उत्तराखण्ड क्रांति दल ने तो गीत के निर्माता निर्देशक के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करा दी है।
(Thumka Garhwali Song)
बता दें कि यूट्यूब पर लविन मोविज के बैनर तले रिलीज हुए इस गढ़वाली गीत ‘ठुमका’ के निर्माता मनीष पाल है। गीत को गायिका अनीषा रांगड और गायक आदि ने इस गीत को अपनी आवाज दी है परन्तु गीत के विडियो वर्जन में जिस तरह के दृश्यों को फिल्माया गया है वह फूहड़ता, अश्लीलता, दारूबाजी, गन कल्चर और बेशर्मी की सारी हदों को पार कर इसे बढ़ावा देने का काम करता है। वैसे हमारे हिसाब से इसे गढ़वाली गीत की जगह आइटम सांग कहना ज्यादा बेहतर होगा। या यूं कहें हमारी सभ्यता एवं संस्कृति का मजाक उड़ाते इस गीत के जरिए न केवल हमारे मुंह पर करारा तमाचा मारा गया है बल्कि ‘नशा नहीं रोजगार दो’ के बैनर तले जिस उत्तराखण्ड राज्य का सपना हमारे आंदोलनकारियों ने देखा था, उसका भी कुठाराघात है। सच कहें तो उत्तराखंड संगीत जगत में ऐसे फूहड़ गीत कहीं ना कहीं यहां की लोक संस्कृति और सभ्यता पर कालीख पोतने का ही काम करते हैं जोकि सीधे देश विदेशों तक पहुंचती है।
(Thumka Garhwali Song)