kathak dancers in uttarakhand: मूल रूप से द्वाराहाट क्षेत्र के धरमगांव की रहने वाली लावण्या, राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हासिल किया प्रथम स्थान…
उत्तराखंड मे प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यहां के प्रतिभावान युवा और होनहार नौनिहाल सभी अलग अलग क्षेत्रो मे अपनी प्रतिभा से राज्य तथा क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे है। आज हम आपको राज्य के अल्मोड़ा जिले की एक और ऐसी ही प्रतिभावान बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने अपनी प्रतिभा के दम पर क्षेत्र तथा जिले का नाम रोशन किया है। जी हां… हम बात कर रहे हैं लावण्या मठपाल की। जिसने पिछले एक माह से भी कम समय में अपने कथक नृत्य का शानदान हुनर प्रदर्शित कर दो बड़े खिताब जीते हैं। बता दें कि लावण्या मात्र 13 वर्ष की है। लावण्या के पिता दिनेश मठपाल शैल क्षेत्र के युवा व्यापारी हैं।
(kathak dancers in uttarakhand)
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आपको बता दें कि लावण्या मठपाल मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट क्षेत्र के धरमगांव की रहने वाली हैं। लावण्या ने आठवीं तक की पढ़ाई बीरशिबा स्कूल अल्मोड़ा से पूर्ण की है। वर्तमान में लावण्या सेंट जोसेफ स्कूल लखनऊ में नौवीं की छात्रा है। इसके साथ ही वह संस्कृत महाविद्यालय लखनऊ से नृत्य कला का प्रशिक्षण भी ले रही हैं। कृष्णाप्रिया कथक केन्द्र हरिद्वार द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कृष्णाप्रिया महोत्सव-भागीरथी उत्सव में लावण्या ने जूनियर वर्ग के एकल नृत्य प्रतियोगिता में प्रतिभाग लेकर देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों को पछाड़ कर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस प्रतियोगिता के मुख्य निर्णायक देश के प्रख्यात कथक नृतक स्व. बिरजू महाराज के छोटे भाई सुप्रसिद्ध कथक गुरू पंडित कृष्ण मोहन रहे। जिन्होंने लावण्या के कथक नृत्य की सराहना करते हुए पुरस्कृत किया साथ ही लावण्या को भविष्य में बड़ा कलाकार बनने का आशीर्वाद दिया। लावण्या की इस उपलब्धि से उनके परिवार तथा क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
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