anadolu yakası escort - bursa escort - bursa escort bayan - bursa bayan escort - antalya escort - bursa escort - bursa escort -
istanbul escort - istanbul escorts -
ümraniye escort - bursa escort - konya escort - maltepe escort - eryaman escort - antalya escort - beylikdüzü escort - bodrum escort - porno izle - istanbul escort - beyliküdüzü escort - ataşehir escort - van escort -
Connect with us
Chaumu devta story in hindi
फोटो सोशल मीडिया

उत्तराखण्ड विशेष तथ्य

देवभूमि दर्शन

कुमाऊं में चौमू देवता हैं भगवान शिव के प्रतीक, पशुचारकों के मानें जाते हैं लोक देवता…..

Chaumu devta story in hindi: चौमू देवता हैं कुमाऊँ के पशुचारकों के लोक देवता, जंगल गई गायों के रास्ता भटक जाने पर उन्हें सकुशल पहुंचाते हैं गांव………..

Chaumu devta story in hindi: देवभूमि उत्तराखंड मे ऐसे बहुत सारे लोक देवता मौजूद है जो अपने भक्तों पर आने वाले संकट की चेतावनी समय-समय पर उन्हें देते रहते हैं ताकि उनके भक्त पहले से ही आने वाले संकटों से सचेत रह सकें। उत्तराखंड के लोक देवता लोगों को संकटों से तो बचाते ही हैं साथ ही उन्हें सही मार्ग भी दिखाते हैं। ऐसी ही कुछ प्रसिद्ध लोकमान्यता है कुमाऊं के पशुचारकों के लोक देवता चौमू की जिन्हें भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। आपको जानकारी देते चले चौमू देवता का मूल स्थान उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र के चंपावत जनपद मे स्थित गुमदेश मे हैं किन्तु ऐसा कहा जाता है कि चंपावत के अतिरिक्त पिथौरागढ़ में वड्डा के निकट चौपाता तथा अल्मोड़ा की रयूनी तथा द्वारसों पट्टियों और उनके निकटवर्ती इलाकों में भी इनका प्रभाव है। दरअसल इस देवता के चार मुख होने के कारण इन्हें चौमू देवता कहा जाता है जो चतुर्मुखी पशुपति भगवान शिव का प्रतीक माने जाते हैं लेकिन इसके साथ ही इनकी तुलना वैदिक देवता पूषन से भी की जाती है जिन्हें मार्गदर्शक व पशुचारको का देवता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब जंगल गई गाय रास्ता भटक जाती है तो यह देवता पशुओं को सकुशल गांव तक पहुंचाते हैं और उनकी रक्षा करते हैं।
यह भी पढ़ें- कुमाऊं के प्रसिद्ध देवता कलबिष्ट को जाना जाता है गैराड़ गोलू के रूप में जानिए उनकी गाथा

जानें कैसे हुई मन्दिर की स्थापना:-

Chomu Devta History Hindi
अल्मोड़ा जनपद में मूल रूप से चौमू देवता की स्थापना रयूनी तथा द्वारसों पट्टियों की सीमा पर की गई है और यहाँ पर इनका एक मंदिर भी स्थापित किया गया है। इस मंदिर की स्थापना के संबंध में ऐसा कहा जाता है कि लगभग 500 वर्ष पूर्व रणवीर सिंह राणा नाम का व्यक्ति अपनी पगड़ी में नर्मदेश्वर का एक स्फटिक शिवलिंग लेकर चम्पावत से अपने गाँव जा रहा था जो रानीखेत के पास था लेकिन तभी उसका शिवलिंग पगड़ी समेत द्यारीघाट (रयूनी) के निकट गिर पड़ा जिसके चलते उसने उसे उठाकर पुनः सिर पर रखने का प्रयास किया मगर वह उसे उस स्थान से हिला भी ना सका। जब उसकी कोशिश नाकाम रही तो उसने आसपास से कुछ लोगों को बुलाकर इस निश्चय के साथ उसे एक बांज वृक्ष की जड़ में रखवा दिया कि अगले दिन आकर वह वहीं पर उसकी स्थापना करवा देगा किंतु जब वह अगले दिन वहां पर पहुंचा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना ना रहा उसने देखा कि रात में वह लिंग वहां से उठकर रयूनी तथा द्वारसों की सीमा पर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित अन्य बांज वृक्ष की जड़ में स्थानांतरित हो गया था जब गांव वालों को इस चमत्कारिक घटना का पता चला तो उन्होंने सम्मिलित रूप से इसके लिए वहीं पर एक मंदिर का निर्माण करवा दिया जहां पर चैत्र तथा अश्विन के नवरात्रों अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होता है साथ ही शिवलिंग के ऊपर दूध का अभिषेक किया जाता है व सैकड़ो दीप जलाए जाते हैं।
यह भी पढ़ें- गोलू देवता कैसे पहुंचे कुमाऊं से गढ़वाल में, कैसे बने कंडोलिया देवता जानिए कुछ विशेष

चौमू देवता की लोक मान्यता:-

कुमाऊं क्षेत्र में चौमू देवता की लोक मान्यता काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है चौमू देवता को विशेष रूप से उन लोगों द्वारा पूजा जाता है जो पशुपालन और कृषि से जुड़े होते हैं। उन्हें ग्रामीण जीवन में सुरक्षा, समृद्धि और न्याय के देवता के रूप में मान्यता प्राप्त है। इतना ही नही इन्हे न्यायप्रिय देवता माना जाता है जो लोग अपने विवादों और समस्याओं के समाधान के लिए उनकी शरण में आते हैं उनकी मान्यता है कि चोमू देवता सच्चे न्याय का पालन करते हैं और उनके निर्णय निष्पक्ष होते हैं। कुमाऊं के कई गांवों में चौमू देवता का मन्दिर स्थित है जहां नियमित रूप से उनकी पूजा- अर्चना की जाती है और अक्सर खास अवसरों व त्यौहारों पर श्रद्धालु अपने पशुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं।

यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: क‌ई रहस्यों से भरी है पाताल भुवनेश्वर गुफा, छिपे हैं कलयुग के अंत के प्रतीक

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

Rachna Bhatt

रचना भट्ट एक अनुभवी मिडिया पेशेवर और लेखिका हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने पत्रकारिता में मास्टर डिग्री प्राप्त की है और समाज, संस्कृति समसामयिक मुद्दों पर अपने विश्लेषणात्मक लेखन के लिए जानी जाती हैं।

More in उत्तराखण्ड विशेष तथ्य

Advertisement

UTTARAKHAND CINEMA

PAHADI FOOD COLUMN

UTTARAKHAND GOVT JOBS

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top