Vimala Joshi Bageshwar : जिन बेटो ने माँ बाप का बनना था बुढ़ापे का सहारा उन्हीं ने कर दिया मां बाप को बेसहारा, बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, माँ बाप को बना कर दिया सपनो का आशियाना….
Vimala Joshi Bageshwar : उत्तराखंड समेत देशभर के लोग जहाँ आज भी ये सोच रखते हैं कि बेटे मां बाप के बुढ़ापे का इकलौता सहारा होते हैं, इतना ही नहीं बल्कि जन्म के बाद से ही बेटों को बेटियों से अधिक तवज्जो दी जाती है। वहीं दूसरी ओर जब बेटे बड़े होते है तो वो अक्सर अपना कर्तव्य निभाना भूल जाते है और बुढ़ापे में अपने मां बाप को अकेला छोड़कर चले जाते हैं लेकिन तब बुजुर्ग माता-पिता का सहारा बनती है उनकी बेटियां जिन्हे बचपन में शायद बेटों से कम प्यार मिला हो लेकिन वो अपने माता-पिता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार होती हैं। ऐसी ही कुछ मिसाल पेश की है बागेश्वर जिले की रहने वाली विमला जोशी ने जिन्होंने अपने बुजुर्ग माता-पिता को एक मजबूत घर बनवाकर ये साबित कर दिया है कि बेटियां माता पिता पर कभी बोझ नही होती है बल्कि उनका बोझ हल्का करती है ।
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देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में बागेश्वर जिले के तिलसारी गांव की रहने वाली विमला जोशी कहती हैं कि हाल ही में उन्होंने अपने माता-पिता के लिए एक भव्य और मजबूत घर का निर्माण कराया है जिन्होंने बीते 28 मई को घर पर गृह प्रवेश किया। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने अपने घर का नाम ईजा बाबू रखा है जो सबसे बेहतरीन घरों में से एक माना जा रहा है। दरअसल गिरीश जोशी और राधा जोशी के दो बेटे हैं जिन्होंने बुढ़ापे में अपने माता-पिता का साथ छोड़ दिया लेकिन उनकी बेटी विमला ने उनका साथ कभी नही छोड़ा।
बेटी बनी बुजुर्ग माता पिता का सहारा (Daughter became the support of elderly parents)
विमला ने न सिर्फ अपने माता-पिता की देखभाल की बल्कि अपनी कड़ी मेहनत से अपने माता-पिता के सपनो का मजबूत आशियाना बनवाकर दिलाया। बताते चले विमला जोशी ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई बागेश्वर से की है और अभी उनकी शादी नहीं हुई है जिसके चलते वह मुंबई में जॉब कर रही है। विमला जैसी ना जाने कितनी बेटियों ने समाज की पिछड़ी सोच को बदला है जिन पर सभी को नाज होना चाहिए । विमला की यह विशेष उपलब्धि ना सिर्फ उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव और समाज के लिए एक प्रेरणादायक कहानी बन गई है ।
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