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उत्तराखण्ड

ऊधमसिंह नगर

सीबीएसई 10th रिजल्ट: देवाशीष उप्रेती और अनुप्रिया बिष्ट रहे खटीमा शहर के टॉपर

alt= "khatima cbse 1oth topper"उत्तराखण्ड ने जहाँ सीबीएसई बोर्ड को एक से एक होनहार टॉपर दिए, वही राज्य के अलग अलग जिलों से भी सीबीएसई बोर्ड का परिणाम काफी अच्छा रहा। इसी कड़ी में आता है ऊधमसिंह नगर का खटीमा शहर जिसके दो टॉपरों से हम आज आपको रूबरू कराने जा रहे है। खटीमा शहर से दो टॉपरों में देवाशीष उप्रेती और अनुप्रिया बिष्ट का नाम सम्मिलित है जिन्होंने अपने माता पिता के साथ साथ पुरे शहर को गौरवान्वित किया है। सबसे खाश बात तो ये है की दोनों विद्यार्थियों ने दसवीं में  98.4 %  प्राप्त कर शहर में टॉप किया।
शिक्षा भारती स्कूल से देवाशीष उप्रेती : देवभूमि दर्शन से खाश बात चित में शिक्षा भारती प्रबंधन ने बताया की देवाशीष उप्रेती ने 98.4 %  प्राप्त कर शहर में टॉप किया है , और वो विद्यालय के काफी मेधावी छात्रों की सूचि में अपना नाम रखते है। बताते चले की शिक्षा भारती खटीमा के सबसे प्रतिष्ठित विद्यालयों में अपना एक विशेष नाम रखता है, विगत वर्षो में भी शिक्षा भारती से अनेक टॉपर निकले है जो आज देश के बड़े बड़े सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों में कार्यरत है। बता दे की देवाशीष उप्रेती कक्षा 9 से शिक्षा भारती स्कूल में पढ़ते है। देवाशीष उप्रेती खटीमा के चकपुर क्षेत्र में रहते है, उनके पिता सरकारी अध्यापक है व माता गृहिणी है।




डायनेस्टी मॉडर्न गुरुकुल छिनकी खटीमा से अनुप्रिया बिष्ट : अनुप्रिया बिष्ट ने दसवीं में 98.4 %  प्राप्त कर परिजनों के साथ ही अपने शहर को भी एक गौरवशाली पल दिया है। खटीमा के आलाविर्दी गांव की रहने वाली अनुप्रिया बिष्ट के संघर्ष की कहानी आपको अंदर तक झकझोर कर रख देगी , जी हां अनुप्रिया बिष्ट जिसने बचपन मे ही माँ को खो दिया ,  घर पर 8 महीने का एक भाई , पापा और बूढ़े दादा दादी ही रह गए। भाई को माँ का प्यार भी बहन ने ही दिया फिर घर पर सभी कामो की जिम्मेदारी उसके बाद अपनी पढाई के लिए समय निकालना पिता को तो घर गृहस्थी से मतलब नहीं पी – खा के अपनी अलग ही दुनिया में जिना है।  जिसके चलते घर की आर्थिक स्थति सही नहीं है, और किताबो से लेकर ड्रेस और फीस तक स्कूल के मालिक धीरेंद्र भट्ट ही  देते है। दसवीं की परीक्षा से कुछ दिन पहले ही उसके बीमार दादा जो कैंसर के मरीज थे, उनकी मृत्यु हो गईं अब घर मे दादी छोटा भाई ओर अनुप्रिया ही रह गए। अनुप्रिया के पिता लखनऊ चले गए बस अब घर की पूरी जिम्मेदारी 15 साल की बच्ची के कंधो पर है। अनुप्रिया उन सभी बच्चो के लिए एक मिशाल है जो दो तीन ट्यूशन लगाने के बाद और पहाड़ो से पढाई के नाम पर शहरो में आने के बाद भी पास नहीं हो पा रहे है।




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