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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: पहाड़ में सरकारों को आईना दिखा रहे ग्रामीण, गांव के लिए श्रमदान कर बना रहे सड़क

 gangolhat road construction: पहाड़ में सड़क मार्ग से वंचित ग्रामीण जनसहयोग से सड़कों का निर्माण कर सरकारों को दिखा रहे आईना..

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि राज्य निर्माण के 20 वर्ष बाद भी राज्य के अधिकांश पर्वतीय क्षेत्र सड़क मार्ग से वंचित हैं। सड़क ना होने से 21वीं सदी में भी ग्रामीणों को कठिनाई भरा जीवन जीना पड़ रहा है। जिसके उदाहरण आए दिन हमें देखने को मिलते रहते हैं कभी ग्रामीण किसी बीमार बुजुर्ग या गर्भवती महिला को डोली के सहारे अस्पताल ले जाने को मजबूर होते हैं तो कभी वे क‌ई किमी पैदल चलकर भारी-भरकम सामान अपने गांव ले जाते हैं। लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही है, क‌ई वर्षों से सरकारों से सड़क निर्माण की गुहार लगा-लगाकर थक चुके ग्रामीण अब जनसहयोग से सड़कों का निर्माण कर सरकारों को आईना दिखा रहे हैं। (gangolhat road construction) सड़क निर्माण की ऐसी ही एक तस्वीर आज राज्य के पिथौरागढ़ जिले से सामने आ रही है जहां लाकडाउन के दौरान घर लौटे प्रवासियों ने गांव के लिए सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है। सबसे खास बात तो यह है कि सड़क निर्माण का कार्य न सिर्फ युवा कर रहे हैं बल्कि गांव के बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी सड़क निर्माण में युवाओं का हाथ बटा रहे हैं।
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सड़क निर्माण में बुजुर्ग और बच्चे भी बंटा रहे युवाओं का हाथ, पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर श्रमदान कर रही है गांव की महिलाएं:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट तहसील के पभ्या के ग्रामीण इन दिनों जनसहयोग से सड़क निर्माण में जुटे हुए हैं। सड़क निर्माण के इस कार्य में गांव की महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर श्रमदान कर रही है। बता दें कि पभ्या गांव, गंगोलीहाट तहसील मुख्यालय से आठ किमी दूर है। यहां के ग्रामीणों को सड़क मार्ग तक पहुंचने के लिए चार किलोमीटर की पैदल दूरी नापनी पड़ती है। ग्रामीणों का कहना है कि‌‌ गांव में सड़क ना होने से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण यह भी बताते हैं कि वे पिछले कई वर्षों से सरकार से सड़क निर्माण की गुहार लगा चुके हैं परन्तु सरकार की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब ग्रामीण स्वयं ही हाथों में गैटी, फावड़ा और कुदाल लेकर सड़क निर्माण में जुट गए हैं। बताया गया है कि गांव में सड़क निर्माण को लेकर आयोजित एक बैठक में लाक डाउन के कारण घर लौटे प्रवासियों ने श्रमदान कर सड़क निर्माण करने का सुझाव रखा, जिसका बैठक में मौजूद हर किसी ग्रामीण ने समर्थन किया। जिसके बाद ग्रामीण सड़क निर्माण में जुट गए हैं, इस दौरान वह न सिर्फ ऊंची-ऊंची चट्टानों को काटकर गांव के लिए सड़क बना रहे हैं बल्कि अपने इस कार्य में रोज नया मुकाम भी हासिल कर रहे हैं। युवाओं के इस सराहनीय कार्य की तस्वीरों को सोशल मीडिया में भी जमकर सराहा जा रहा हैं।‌

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