अंडर 19 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कमलेश नगरकोटी के शानदार प्रदर्शन और फिर टीम की एतिहासिक जीत पर भरसाली गांव में दिवाली जैसा जश्न मना। कमलेश नगरकोटी इस वर्ल्ड कप के बाद से घर घर में जाने जायेंगे. ये वो बॉलर लग रहा है जिसे देखकर नए लड़के फ़ास्ट बॉलर बनना चाहेंगे. दुबली पतली काया, हमेशा ऊपर की और रहने वाले और न्यूटन की ग्रेविटी को ठेंगा दिखाते बाल और चेहरे पर आपने काम से काम रखने वाले भाव नागरकोटी को परिभाषित करते हैं. ये लड़का ऑफ स्टंप का दुश्मन है. इसके पास एक अच्छी स्लोवर बॉल है जिसका उपयोग करना इसे बखूबी आता है. नागरकोटी इंडिया के अगले एक्सप्रेस बॉलर मालूम दे रहे हैं. इन्होने इस पूरे टूर्नामेंट में 9 विकेट लिए हैं.टीवी पर नजरें लगाए बैठे गांव वाले अपने लाल का कमाल देख जबरदस्त उत्साह में थे। कमलेश ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में दो विकेट लेकर वर्ल्ड कप भारत के नाम करवाया। कमलेश ने जैसे ही पहला विकेेट झटका, दोस्त और परिजनों केअंडर 19 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कमलेश नगरकोटी के शानदार प्रदर्शन और फिर टीम की एतिहासिक जीत पर भरसाली गांव में दिवाली जैसा जश्न मना। टीवी पर नजरें लगाए बैठे गांव वाले अपने लाल का कमाल देख जबरदस्त उत्साह में थे। कमलेश ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में दो विकेट लेकर वर्ल्ड कप भारत के नाम करवाया। कमलेश ने जैसे ही पहला विकेेट झटका, दोस्त और परिजनों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दूसरे विकेेट पर तो गांव वाले नाचने लगे। विश्व कप जीतने बाद तो पूरे गांव में दिवाली जैसा जश्न दिखने लगा।विश्व कप जीतने बाद तो पूरे गांव में दिवाली जैसा जश्न दिखने लगा।
परिचय
क्रिकेटर कमलेश नगरकोटी
जन्म- 28 दिसंबर 1999
स्थान- बाड़मेर, राजस्थान
बैटिंग- दांए हाथ के बल्लेबाज
गेंदबाज- दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज
– राजस्थान की ओर से विजय हजारे ट्राफी
– अंडर 19 वर्ल्ड कप में 11 विकेट लिए 3.51 की औसत से। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 41 रन पर दो विकेट चटकाए
– आइपीएल-2018 में केकेआर की टीम से करेंगे प्रतिनिधित्व
बहुत ही दुर्गम क्षेत्र में हैं कमलेश का गांव
क्रिकेट की दुनिया में उभरते कमलेश नगरकोटी उर्फ बिट्टू जिला मुख्यालय से लगभग 41 किमी दूर कुलारंग चौड़ा ग्राम सभा के दुर्गम क्षेत्र भरसाली-जजुराली तोक के रहने वाले हैं। अंडर 19 क्रिकेट वल्र्ड कप से पूर्व कमलेश वीनू माकंड ट्रॉफी, कूच बिहार ट्रॉफी खेल चुके हैं।
साढ़े तीन करोड़ की लगी थी बोली
ओपन अंडर 19 में बेहतरीन प्रदर्शन कर कमलेश सबकी नजरों में आए। उन्होंने शताब्दी एक्सप्रेस से भी तेज गेंद फेंकी। और शताब्दी एक्सप्रेस के रुप में चर्चित हो गए। अभी आइपीएल मैचों के लिए केकेआर की टीम का भी वह हिस्सा होंगे। उनकी साढ़े तीन करोड़ की बोली लगी।
मात्र चार साल की उम्र में चले गए थे जयपुर
कमलेश के पिता लक्ष्मण नगरकोटी सेना में आरनेरी कैप्टन रहे। कुछ समय पहले ही वह रिटायर हुए। कमलेश के परिजनों ने बताया कि जब वह चार साल के थे तो वह जयपुर चले गए थे।कमलेश की शिक्षा जयपुर सेना के स्कूल में ही हुई। वह राजस्थान की टीम से खेलते है। उन्हें बचपन में बास्केट बाल के खिलाड़ी थे। लेकिन क्रिकेट कोच सुरेंद्र राठौर की नजर जब कमलेश पर क्रिकेट खेलते हुए पड़ी तो उन्होंने इस खेल से उन्हें जुडऩे को कहा।
कमलेश के पिता लक्ष्मण सिंह नगरकोटी अपने सात भाइयों में चौथे नंबर के है। सेना में होने के कारण उन्होंने पहले ही गांव छोड़ दिया था। वह नौकरी के दौरान इधर-उधर ही रहे। उनके तीन बड़े भाई केदार सिंह, गोविंद सिंह, दरबान सिंह व तीन छोटे भाई पूरन सिंह, बहादुर सिंह, प्रयाग सिंह है। उनके भाइयों का कहना था कि वह अगले महीने गांव आने वाला है। शायद उनके साथ बिट्टू के के भी आने की उम्मीद है।
कमलेश के घर पहुंचने को चलना पड़ता है 10 किमी पैदल।
जिला मुख्यालय से 41 किमी दूर कुलारंग चौड़ा ग्राम सभा का तोक है जजुराली-भरसाली। यह गांव आलराउंडर कमलेश नगरकोटी का पैतृक गांव है। जिला मुख्यालय से यहां पहुंचने के लिए 21 किमी धारगुना तक गाड़ी से जाना पड़ता है। वहां से कच्ची सड़क बनी हुई है। अधिकतर लोग 20 किमी पैदल चलकर गांव पहुंचते है। पैदल जाने वाले लोग अक्सर कांडा पड़ाव से आते है।जहां एक और कमलेश के बेहतरीन प्रदर्शन से खुशी की लहर है वहीं गांव वालों को अब सड़क की आस जगने लगी है। उनका कहना है कि कमलेश की बदौलत ही सही शायद अब सड़क मिल जाए।