उत्तराखण्ड के पाताल भुवनेश्वर गुफा में है कलयुग के अंत के प्रतीक
पाताल भुवनेश्वर में गुफा में भगवान गणेश के कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इससे ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था। यह संपूर्ण परिसर 2007 से भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा अपने कब्जे में लिया गया है।
क्या है यहाँ विशेष ??????
केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के होते हैं दर्शन
इस गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। यहाँ अनेक शिलारुप मूर्तियां विराजमान है, जिनमें बद्री पंचायत की शिलारुप मूर्ति विशेष है, जिसमें गणेश, लक्ष्मी, वरुण, यम कुबेर और वरूण सम्मिलित हैं।
फोटो वाया- उत्तराखण्ड देवभूमि
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित तांबे का शिवलिंग
कलयुग का कब होगा अंत???
फोटो वाया-Uttarakhand tourism
गुफा में चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग) के प्रतिक रुप में चार लिंग रुपी पत्थर स्थापित है। जिनमें से कलयुग रुपी पत्थर धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ रहा है। एसी धारणा है कि जिस दिन यह कलयुग रुपी पत्थर बढते – बढते ऊपरी चट्टान से टकरा जायेगा उस दिन कलयुग का अंत हो जायेगा।
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