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Uttarakhand kafal fruit BENEFITS for many serious diseases

उत्तराखण्ड

देवभूमि के अमृत रूपी काफल में छिपे हैं कई गंभीर बीमारियों के इलाज KAFAL FRUIT BENEFITS

Kafal fruit benefits: उत्तराखंड के अमृत रूपी काफल फल के है अचूक फायदे गंभीर बीमारियों के  लिए भी है फायदेमंद

उत्तराखंड  को काफल प्रकृति के अनूठे आशीर्वाद के रूप में प्राप्त है। देवभूमि में अनेक गंभीर बीमारियों के रामबाण इलाज का भंडार यहां की जड़ी बूटियां और फल फूल हैं । कई पौधे, फल जो गंभीर रोगों को भी ठीक करते हैं काफल भी उनमें से एक है । काफल स्वाद में अद्भुत होने के साथ ही कई औषधीय गुणों से भी भरपूर है इस फल को खाने के कई फायदे हैं। जो उत्तराखंड के लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध और पसंदीदा फल है ।यह हिमाचल प्रदेश, शिमला, जम्मू जैसे अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में भी पाया जाता है तथा काफी लोकप्रिय भी है। काफल का पेड़ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके फल दाने के आकार में छोटे होते हैं,इसका स्वाद खट्टा और मीठा होता है।(kafal fruit benefits)

काफल का द्विपद नाम है :मायरिका एस्कुलेंटा।
काफल का सामान्य नाम है: बॉक्स मर्टल, बेबेरी बेबेरी को काफाओ के नाम से जाना जाता है।
काफल का नाम हिंदी में : कैफाली काफल का अंग्रेजी नाम :बेबेरी
काफल संस्कृत नाम: कृष्णगर्भ
कुमाऊं और गढ़वाल का क्षेत्र ज्यादातर काफो या काफल फल के लिए जाना जाता है। कुमाऊं में रानीखेत, अल्मोड़ा, भवाली और नैनीताल जैसे क्षेत्रों में यह फल अधिक मिलता है, इस फल को स्थानीय कुमाऊंनी भाषा में काफो कहते है। गढ़वाल क्षेत्र चमोली, कर्णप्रयाग, गोपेश्वर और पौड़ी जैसे क्षेत्रों में काफल होते है।ये क्षेत्र काफल के लिए प्रसिद्ध हैं। कुमाऊं की तरह, गढ़वाल क्षेत्र में भी काफल को काफो कहा जाता है।

काफल और काफल के पेड़ के शीर्ष दस लाभ:काफल में अस्थमा रोधी गुण होते हैं। लाल और पीले रंग की डाई बनाने के लिए काफल के फल और पेड़ की छाल का एक साथ उपयोग किया जाता है। काफल के फूलों और बीजों से निकाले गए तेल का उपयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है। काफल के पत्तों का उपयोग मवेशियों के चारे के रूप में किया जा सकता है और शाखाओं को ईंधन की लकड़ी के रूप में उपयोग किया जाता है। आयरन और विटामिन के पर्याप्त गुण। पेट के कई प्रकार के विकार जैसे दस्त, अल्सर, गैस, कब्ज, एसिडिटी आदि को दूर करता है। इसके तने की छाल, अदरक और दालचीनी के मिश्रण का सार दमा, दस्त, बुखार, टाइफाइड, पेचिश और फेफड़ों के रोगों में बहुत उपयोगी होता है। फलों के फूल के तेल का उपयोग कान दर्द दस्त और पक्षाघात में किया जाता है। काफल और सरसों के तेल (सरसों के तेल) का मिश्रण पाचन समस्याओं, त्वचा की समस्याओं, कैंसर विरोधी और उम्र बढ़ने की समस्याओं को दूर करता है। वृक्ष की छाल का चूर्ण सर्दी-जुकाम, आंखों के रोग और सिर दर्द में सूंघने में भी आराम देता है।
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