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Deepak Petshali almora kafal herbal tea self employment
फोटो सोशल मीडिया Kafal tea Back to Nature

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अल्मोड़ा

अल्मोड़ा के दीपक ने बेक टू नेचर के जरिए काफल की चाय को बनाया स्वरोजगार आ रही भारी डिमांड

Kafal tea Back to Nature: काफल की चाय के साथ ही बुरांश आदि पहाड़ी सेहतमंद उत्पादों से भी हर्बल‌ टी बना रहे हैं दीपक, देश विदेश से आए रही भारी डिमांड….

Kafal tea Back to Nature: एक ओर जहां उत्तराखंड के पहाड़ पलायन का दंश झेल रहे हैं और नौजवान युवा रोजगार की तलाश में बड़े बड़े शहरों का रूख करने को मजबूर हैं वहीं राज्य के कुछ युवा ऐसे भी हैं जो पहाड़ में रहकर ही स्वरोजगार की राह तलाश रहे हैं। पहाड़ में रहकर स्वरोजगार की अलख जगाने वाले इन मेहनतकश युवाओं से हम आपको आए दिन रूबरू कराते रहते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही होनहार युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने पहाड़ी फलों के राजा के नाम से मशहूर काफल की चाय को अपने स्वरोजगार का जरिया बनाया है ‌। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के पेटशाल गांव निवासी दीपक पेटशाली की, जो काफल से चाय बनाकर बाजार में पहुंचा रहे हैं। उनकी यह चाय न केवल लोगों को अनोखा स्वाद मुहैया करा रही है बल्कि सेहत के हिसाब से भी फायदेमंद है। इस संबंध में दीपक का कहना है कि यह चाय एनीमिया और अस्थमा से निजात दिलाएगी। इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
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Deepak Petshali almora self employment मीडिया से बातचीत में दीपक बताते हैं कि वह न केवल काफल की चायपत्ती बना रहे हैं बल्कि उन्होंने फलों और मसालों से एग्रो प्रोडक्ट का काम भी शुरू किया है। वर्तमान में उनके पास काफल हर्बल टी, मिंट हर्बल टी, तुलसी हर्बल टी, नैटल टी, बुरांश हर्बल टी जैसे कई उत्पाद हैं। इनकी मांग न केवल उत्तराखण्ड बल्कि भारत के कई अन्य राज्यों के अतिरिक्त विदेशों से भी लगातार प्राप्त हो रही है। उनके बैक टू नेचर ब्रांड से बनाए इन उत्पादों को लोग हाथों-हाथ ले रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें न केवल स्थानीय बाजार से बल्कि सोशल मीडिया के जरिए भी उत्पादों की डिमांड आ रही है । वे कहते हैं कि उनके पास चाय की जितनी किस्में हैं उनमें सबसे अधिक मांग काफल की चाय की आ रही है। दीपक कहते हैं कि काफल की चाय बनाने के लिए सर्वप्रथम काफल और उसके दाने को साफकर सुखाया जाता है और इसमें काफल की सूखी पत्तियों को भी मिलाया जाता है। इसके बाद खड़े मसाले इलायची, लौंग के साथ ही अन्य सामग्री मिलाई जाती हैं, इसके चाय के स्वाद को और भी अधिक लाजवाब बना देती है।
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kafal herbal tea benefits इस संबंध में कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर स्थित वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी ने भी उनके काफल की चाय के उत्पाद की सराहना करते हुए बताया कि यह चाय वास्तव में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। काफल वैसे भी स्वाद में लाजवाब होने के साथ ही क‌ई बिमारियों का रामबाण इलाज है। ऐसे में काफल की चाय के सेवन से पेट संबंधी समस्याएं जैसे एसिडिटी, गैस, कब्ज आदि में काफी हद तक राहत मिलती हैं। इसके सेवन से एनीमिया, अस्थमा, सर्दी, बुखार, दस्त, बुखार आदि बीमारियों में भी फायदा होता है।
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