Rajula Malushahi Story Hindi: उत्तराखंड अमर प्रेम कथा राजुला मालूशाही की कहानी
इस बात से परेशान राजुला खुद ही बैराठ के सफर पर के सफर पर निकल पड़ती है उधर बैराठ मे मालू के राजुला से मिलने जाने और उसे विवाह कर लाने की जिद की वजह से उन्हें 12 साल तक गहरी निद्रा वाली जड़ी सूंघा दी जाती है सात रातों का बेहद मुश्किल सफर तय कर राजुला बैराठ आती है और सोते हुए मालूशाही को उठाने का प्रयास करती है लेकिन जड़ी के तेज असर से वह उठ नहीं पता तब राजुला मालूशाही को हीरे की अंगूठी पहना और एक पत्र उसके सिरहाने रख रोते- रोते अपने देश वापिस लौट जाती है। नींद से जागने के पश्चात मालुशाही हीरे की अंगूठी और वह पत्र देखता, जिसमें राजुला लिखती है कि मालु मैं तो तेरे पास आई थी, लेकिन तू नींद में था, अगर तूने अपनी मां का दूध पिया है, तो मुझे लेने हूण देश आना। मेरे पिता अब मुझे वहीं ब्याह रहे हैं और मालुशाही राजुला को लाने निकल पड़ता है।
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वही इस प्रेम कहानी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि राजा दुलाशाही ने राजकुमार मालुशाही के जन्म के बाद राज ज्योतिषी से उनकी कुंडली बनवाई थी। राजा को ज्योतिषी ने बताया कि पांचवें दिन नौरंगी कन्या से राजकुमार का विवाह न होने पर उनकी मृत्यु का योग है इस पर वह पुरोहित को सुनपति शौक के पास भेज नवजात राजुला और मालूशाही का प्रतीकात्मक विवाह करवा देते हैं लेकिन इसी बीच राजा दुलाशाही की मृत्यु हो जाती है और राजुला को अपशकुनी करार देकर यह बात सदा के लिए राजकुमार मालूशाही से छुपा ली जाती है।
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राजुला और मालूशाही के प्रेम का इम्तिहान का दौर:-
आपको बता दे राजुला और मालूशाही के लिए यह सबसे मुश्किल और इम्तिहानो से भरा दौर था। मालूशाही ने राजुला के लिए अपने राज पाठ का त्याग कर सिद्ध गुरु गोरखनाथ की शरण ली और मालूशाही का अधिक प्रेम देख गुरु गोरखनाथ उनकी सहायता करने के लिए तैयार हो जाते हैं। तब वह मालूशाही को दीक्षा- शिक्षा देते हैं कि इसके बाद मालू शाही गुरु गोरखनाथ का आशीर्वाद ले साधु के वेश में राजुला को लेने के लिए हूण देश के लिए निकल पड़ते हैं। साधु के वेश में राजा मालूशाही घूमते-घूमते विक्खीपाल के महल पहुंचते हैं वहां नवविवाहित राजुला जब सोने के थाल में भिक्षा लाती है तो मालूशाही उसे देखते ही रह जाते हैं लेकिन राजुला उन्हें पहचान नहीं पाती और पूछती है कि जोगी बता मेरे हाथ की रेखाएं क्या कहती हैं तो साधु वेश में मालूशाही कहते हैं कि मैं बगैर नाम और गांव बताएं हाथ नहीं देखता । तब राजुला उन्हें बताती है कि वह सुनपति की बेटी राजुला है। इतना सुनते ही मालूशाही अपना साधु का वेश उतार फेंकते हैं और कहते हैं कि राजुला मैंने तेरे लिए ही साधु वेश धरा है, मैं तुझे यहां से छुड़ा कर ले जाऊंगा। ऐसा कहा जाता है कि राजुला ऋषिपाल से मालूशाही का परिचय कराती है और जोगी व्यक्तित्व देख ऋषिपाल के मन में संदेह उत्पन्न होता है। जैसे ही ऋषिपाल को यह बात पता चलती है की यह तो बैराठ का राजा मालूशाही है, तो वह उसे खीर में जहर देकर मार डालता है और यह देख राजुला भी तुरंत अचेत हो जाती है। तब गुरु गोरखनाथ बोक्साड़ी विद्या के प्रयोग से मालू को जिंदा कर देते हैं। बता दे इसके बाद मालू महल में जाकर राजुला को होश में लाते हैं जिसके पश्चात राजा मालूशाही राजुला को लेकर अपने देश बैराठ पहुंचते हैं और वहां दोनों का धूमधाम से विवाह होता है।
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