Uttarakhand news: देहरादून में CBSE सुपरिंटेंडेंट परीक्षा में बड़ा झोल हो गया पर्दाफाश
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार राजधानी देहरादून के केवी ओएनजीसी मे बीते रविवार को सीबीएसई सुप्रीटेंडेंट की परीक्षा आयोजित की गई थी जिसमें शाम की पाली में गौतम कुमार पासवान नाम के अभ्यर्थी पर सीबीएसई के अधिकारियों को शक हुआ तो उन्होंने उसकी जांच पड़ताल शुरू की जिसमें उन्हें पता चला कि परीक्षा देने के लिए गौतम कुमार की जगह आयुष कुमार पाठक परीक्षा देने आया है। जिसकी सूचना सीबीएसई के अधिकारियों ने तुरंत पुलिस प्रशासन को दी और सूचना मिलते ही कैंट थाने से पुलिस मौके पर परीक्षा स्थल पहुंची जहां पर पुलिस की पूछताछ में आयुष कुमार ने बताया कि वह मूल रूप से बिहार का रहने वाला है और वर्तमान में हिंडाल्को कॉलोनी, रेनूकूट, सोनभद्र उत्तर प्रदेश में रहता है। आयुष ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी मुलाकात एक साल पहले बिहार के नालंदा के रहने वाले प्रणव कुमार से हुई थी जो बिहार और झारखंड की प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों को पास करने का ठेका लेता है इसके लिए उसे अच्छी खासी रकम भी मिलती है। आयुष पाठक भी प्रयागराज में एसएससी की तैयारी कर रहा है तो प्रणव ने उसे भी अपने साथ काम में शामिल कर लिया था । 1 साल के भीतर उसने कई प्रतियोगी परीक्षाओं में मूल अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा दिलवाई और इस बार गौतम पासवान से उसका सौदा 10 लाख रुपए में हुआ था। इतना ही नहीं बल्कि प्रणव आयुष को लेकर बीते शनिवार की शाम को देहरादून पहुंच गया था और उसने आयुष को ऑटो से परीक्षा केंद्र भेजकर खुद एक होटल में ठहरने का निर्णय लिया। हालांकि आयुष पुलिस की पकड़ में आ चुका था जिसके कारण वह होटल नहीं पहुंचा काफी वक्त गुजारने के बाद प्रणव भी उसकी तलाश में पैदल होटल से निकला मगर उसे भी परीक्षा केंद्र के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। प्रणव के पास से गौतम कुमार पासवान से लिए गए ₹1 लाख नकद बरामद किए गए हैं जबकि ₹25000 बैंक खाते में दिए गए थे।
परीक्षाओं में अभ्यर्थी की जगह कई बार जालसाज से परीक्षा दिलवाई
जानकारी में सामने आया है कि अभी तक प्रणव ने 18 परीक्षाओं में अभ्यर्थी की जगह परीक्षा दिलवाई है जो अधिकतर परीक्षाएं बिहार और झारखंड में हुई है। वहीं गौतम कुमार पासवान की तलाश पुलिस द्वारा लगातार जारी है बताया जा रहा है कि गौतम भी झारखंड का रहने वाला है। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वह मूल अभ्यर्थी और उसके स्थान पर परीक्षा देने के लिए फोटो एक मोबाइल ऐप के माध्यम से मिक्स करते हैं जिससे फोटो इस तरह बन जाती है कि वह मूल अभ्यर्थी के जैसे ही लगती है इसके लिए एक पैन कार्ड भी बनवाया जाता है जो परीक्षा केंद्र में पहचान पत्र का काम करता है। आरोपी आयुष के पास से भी एक ऐसा ही फर्जी पैन कार्ड बरामद हुआ है। एसएसपी ने बताया कि परीक्षा केंद्र में बायोमेट्रिक व्यवस्था थी जिसके चलते फिंगरप्रिंट मैच नहीं होने पर सीबीएसई के अधिकारियों को उस पर शक हुआ था जिनका संदेह सच निकला।
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