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Abha Rawat GB Pant University Pantnagar got gold medal in BSC almora chaukhutia
फोटो सोशल मीडिया Abha Rawat GB Pant University

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अल्मोड़ा: आभा रावत ने स्वर्ण पदक हासिल कर बढ़ाया परिजनों का मान पिता चलाते है आइसक्रीम की दुकान

Abha Rawat GB Pant University Pantnagar got gold medal in BSC: जीबी पंत विश्वविद्यालय पंतनगर की छात्रा आभा पंत ने बीएससी की पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर हासिल किया स्वर्ण पदक, बढ़ाया माता पिता का मान….

Abha Rawat GB Pant University Pantnagar got gold medal in BSC: उत्तराखंड की बेटियों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है यहां की होनहार बेटियां अपने दृढ़ संकल्प तथा कड़ी मेहनत के जरिए प्रशासनिक सेवाओं समेत शिक्षा चिकित्सा कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभाओं का बेहतर प्रदर्शन कर उच्च मुकाम हासिल कर रही है। इतना ही नहीं बल्कि यहां की होनहार बेटियां प्रतिष्ठित यूजीसी नेट जेआरएफ परीक्षा समेत अन्य कई परीक्षाओं में सफलता हासिल कर रही हैं जो आने वाली पीढियों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बन रही है। हम आए दिन आपको ऐसी ही होनहार बेटियों से रूबरू करवाते रहते हैं जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर सफलता के झंडे गाड़े हो। आज हम आपको अल्मोड़ा जिले के बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली आभा रावत से रूबरू करवाने वाले हैं जिन्होंने बीएससी में स्वर्ण पदक हासिल किया है।
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Abha Rawat chaukhutia almora बता दें अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया क्षेत्र के मासी की निवासी आभा रावत ने उधम सिंह नगर जिले के पंतनगर में स्थित जीबी पंत विश्वविद्यालय से बीएससी में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक हासिल कर अपने माता-पिता का मान बढ़ाया है जो पूरे क्षेत्र के लिए बेहद गर्व की बात है। दरअसल आभा के पिता गोविंद सिंह रावत आइसक्रीम की दुकान चलाते हैं जबकि आभा की माता ममता गृहणी है। बेहद साधारण परिवार से ताल्लुकात रखने वाली आभा रावत ने इस विशेष उपलब्धि को हासिल कर यह साबित कर दिया है कि सीमित साधनों में भी अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है। इतना ही नहीं बल्कि सीमित साधनों के बावजूद आभा के बड़े भाई वरुण रावत ने सॉफ्ट इंजीनियर बनकर नाम कमाया वहीं अपनी छोटी बहन आभा के सपनों को भी उड़ान देने मे खूब समर्थन किया जिसकी बदौलत आभा ने यह मुकाम हासिल किया है। आभा बताती हैं कि पढ़ाई करने के साथ-साथ वह घर के कामों में अपनी माता ममता का भी सहयोग करती थी। आभा के पिता ने बच्चों की पढ़ाई के दौरान तमाम आर्थिक मुश्किलों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आभा ने घर के काम करने के साथ ही 4 से 6 घंटे अपनी पढ़ाई को दिए जिसकी बदौलत उन्हें यह कामयाबी हासिल हुई है।

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