वीरों की धरती उत्तराखंड ने अब तक न जाने कितने सपूत देश को दिए हैं। कल आईएमए की पास आउट परेड में एक बार फिर यह देखने को मिला कि उत्तराखंड के युवाओं का सेना में जाने का कितना जूनून है। राज्य ने कल अपने 33 वीर सपूत देश को दिए जबकि राज्य की जनसंख्या से करीब 20 गुना बढ़े पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश केवल यहां के जवानों की लगभग दोगुनी संख्या में 72 जवान देश को दे पाया। इतना ही नहीं देश के अन्य बड़े राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं तमिलनाडु से भी ज्यादा संख्या उत्तराखंड से पास आउट हुए युवाओं की है। राज्य के युवाओं के जूनून ने एक बार फिर दिखा दिया कि क्यो उत्तराखंड को सैन्य धाम का दर्जा दिया जाता है। बता दें कि आईएमए देहरादून से जहाँ कुल 382 कैडेट पासआउट हुए हैं वहीं उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों के 33 युवा शनिवार को सेना में अफसर बन गए जिनमें अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील से करन सिंह भी है जिन्होंने सेना में अफसर बनकर परिजनों के साथ साथ पूरे प्रदेश को भी गौरवान्वित किया है।
पिता सुंदर सिंह हैं सेना में सूबेदार मेजर : बता दें कि मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील के मासी निवासी करन सिंह शनिवार को अफसर बन गए हैं। करन अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं जो सेना में जाकर देश की सेवा कर रहे हैं। बताते चलें कि करन के पिता सुंदर सिंह वर्तमान में सेना में सूबेदार मेजर है जबकि इनके दादा नंदन सिंह सेना में एक हवलदार की पोस्ट पर तैनात थे। कोलकाता के बैरकपुर स्थित समर्थित आर्मी से 12 वीं परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले करन ने 12 वीं के बाद एनडीए की परीक्षा दी थी। एनडीए में चयनित होने के बाद करन शनिवार को देहरादून स्थित आईएमए से एक अफसर बनकर निकले। बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखने वाले करन की इस सफलता से परिजन बेहद खुश हैं। इसके साथ ही उनके गॉव मासी में भी खुशी की लहर है। जहां करन के पिता सुंदर सिंह बेटे के अफसर बनने पर कहते हैं कि करन ने उनकी मुराद पूरी कर दी वहीं करन की माता दुर्गा देवी करन के बचपन का सपना पूरा होने पर कहती हैं कि करन ने खुद के साथ ही उनका सपना भी पूरा कर दिया है।