Lata kandpal Almora: आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर लता कांडपाल ने पेश की मिसाल, अब खेती-बाड़ी में आजमाया हाथ, अन्य लोगों को भी दे रही रोजगार….
Lata kandpal Almora उत्तराखंड के लोग रोजाना कहीं न कहीं रोजगार की तलाश मे पलायन कर रहे हैं जो एक गम्भीर समस्या बन चुकी है। जिसके चलते पहाड़ लगातार खाली हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यहां पर कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो स्वरोजगार के क्षेत्र में विशेष योगदान दे रहे हैं तथा अन्य बेरोजगार लोगों को भी रोजगार देकर एक मिशाल पेश कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ प्रेरणा स्रोत बनी है अल्मोड़ा जिले की लता कांडपाल जिन्होंने न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की बल्कि बेरोजगार लोगों को भी रोजगार दिया।
बता दें अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक के चितई पंत गांव की निवासी लता कांडपाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव से प्राप्त की तत्पश्चात उन्होंने एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा से एमए तथा देहरादून से B.Ed की डिग्री प्राप्त की। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने नई दिल्ली से एनटीटी स्किल डेवलपमेंट की 12 ट्रेनिंग म्यूजिक कोर्स के साथ ही सिलाई कढ़ाई व पेंटिंग का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। पढ़ाई पूरी होने के पश्चात उन्होंने अपने करियर की शुरुआत अपने ही क्षेत्र बाड़ेछीना से की। उन्होंने महर्षि विद्या मंदिर में बतौर प्रधानाचार्य की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान करीब 15 वर्षों के करियर वह आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर उनका भविष्य संवारती रही लेकिन क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या को देख उन्होंने ग्रामीण परिवेश के लोगों को स्वरोजगार के लिए जागरूक करने की ठानी। तभी इस दौरान उनकी मुलाकात महिला हाट संस्था अल्मोड़ा की सचिव कृष्णा बिष्ट से हुई जिनसे उन्होंने मशरूम उत्पादन के गुरु सीखें और वर्ष 2020 में मशरूम उत्पादन शुरू कर दिया। इतना ही नहीं बल्कि लता ने अपनी मेहनत और लगन के चलते पहले प्रयास में ही ₹25,000 का लाभ कमाया और साथ ही अन्य महिलाओं को भी मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया।
जिसके लिए उन्होंने अपनी कलम को त्याग कर कुदाल को पकड़ा और अपने बंजर खेतों को हरा भरा करने मे जुट गई। शुरुआत में उन्हें बाहर ही नहीं बल्कि परिजनों के ताने भी सहने पड़े लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मुहिम मे जुटी रही। इसके पश्चात करीब 3 साल तक बंजर हो रहे खेतों में पसीना बहाने के बाद वह अदरक, हल्दी, मशरूम, मूली, हरी सब्जियां, मटर, बींस उगाने में कामयाब हुई। इतना ही नहीं बल्कि धीरे-धीरे उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ा और उनके साथ मिलकर खेती के व्यवसाय को आगे बढ़ाया। जिसके चलते वह खुद तो आर्थिक रूप से मजबूत बनी ही बल्कि गांव के लोगों को भी उन्होंने आजीविका का जरिया दिया। आज लता को पूरे क्षेत्र में एक सफल काश्तकार के रूप में विशेष पहचान मिली है। उनकी मेहनत को देखकर आसपास के गांव के लोगों को भी प्रेरणा मिली है जिससे आज चितई पंत ही नहीं बल्कि चितई तिवारी, मन्योली, हवालबाग समेत अनेक गांवों के लोग फल और सब्जियों का उत्पादन कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। वर्ष 2023 में गेल इंडिया के अध्यक्ष आशुतोष कर्नाटक चितई गांव पहुंचे और उन्होंने लता के खेती के तौर तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा इसी वर्ष दिल्ली न्याय अकादमी के 80 प्रशिक्षु और राज्य जैविक केंद्र मजखाली में प्रशिक्षण ले रहे यूपी के 40 किसानों के अलावा प्लस एप्रोच के सदस्य भी उनकी कार्यप्रणाली को समझने के लिए उनके खेतों तक पहुंचे।
लता खेती के साथ-साथ संगीत और कविता लेखन में बेहद रूचि रखती है वह वर्तमान में भारत खंडे संगीत महाविद्यालय अल्मोड़ा से संगीत विशारद की शिक्षा ले रही हैं जबकि उनकी लिखी कविताएं कई बार आकाशवाणी के विभिन्न स्टेशनों से भी प्रसारित हो चुकी है। वहीं चंद्रा पिलख्वाल निवासी ग्राम मन्योली का कहना है कि लता ने उन्हें मशरूम उत्पादन के प्रशिक्षण के साथ ही जैविक तरीके से फसल और सब्जियां बनाने का प्रशिक्षण दिया जिसके उत्पादन से आज चन्द्रा के परिवार की आजीविका चलती है।इसके अलावा अन्य लोगों को भी लता ने ऐसे ही स्वरोजगार के प्रति जागरूक किया है। लता का कहना है कि हमारे समाज में आजकल एक ट्रेंड बन चुका है की पढ़ी लिखी लड़की खेती के कार्य नहीं करेगी शादी के समय ही लड़कियों के परिजनों द्वारा उनकी बेटी को खेती के कार्य नहीं आने की बात कही जाती है। शादी के बाद भी अधिकांश लड़कियां अपने खेतों की ओर मुड़कर देखना तक पसंद नहीं करती। समाज के बनाए इस मिथ्क को तोड़ना भी उनका एक मुख्य उद्देश्य है।
रचना भट्ट एक अनुभवी मिडिया पेशेवर और लेखिका हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने पत्रकारिता में मास्टर डिग्री प्राप्त की है और समाज, संस्कृति समसामयिक मुद्दों पर अपने विश्लेषणात्मक लेखन के लिए जानी जाती हैं।