Lata Kandpal farming almora: उच्च शिक्षित लता अब खेतीबाड़ी में आजमा रही हाथ, मशरूम उत्पादन से भी हो रही अच्छी खासी आमदनी, क्षेत्र की दो महिलाओं को भी दिया है रोजगार….
बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक लेख काफी वायरल हुआ था, जिसमें राज्य के कुमाऊं मंडल के युवाओं को शादी योग्य लड़कियां ना मिलने का कारण सरकारी नौकरी और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों में जमीन ना होना बताया गया था। ऐसी डिमांड करने वाली आज कल की ऐसी पढ़ी लिखी लड़कियों को इन दिनों पहाड़ की एक मेहनतकश, उच्च शिक्षित महिला ने आईना दिखाने का काम किया है। जी हां… बात हो रही है मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के हवालबाग विकासखण्ड के चितई गांव निवासी लता कांडपाल की, जिनके हाथों ने कभी चाक, कलम पकड़कर बच्चों का भविष्य संवारने का जिम्मा संभाला था आज उन्हीं हाथों पर कुदाल आदि खेती के औजार पकड़कर वह पहाड़ की बंजर भूमि पर हरी भरी शाक सब्जियां उगा रही है। आज के समय में जब पहाड़ के नौजवान छोटी मोटी डिग्री हासिल करने पर अपने खेत खलिहानों में काम करने की बजाय शहरों में 8-10 हजार की नौकरी करना बेहतर समझते हैं ऐसे में लता का यह प्रयास न केवल सराहनीय है बल्कि राज्य के अन्य युवाओं को भी आईना दिखाने का काम कर रहा है।
(Lata Kandpal farming almora)
वास्तव में लता ने अपने इस सराहनीय कार्य से एक बार फिर यह सही साबित कर दिखाया है कि पहाड़ की मेहनतकश औरतों ने कभी परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेके है। आपको जानकर हैरानी होगी कि खेती करने से पहले तक लता, अपने क्षेत्र के ही महर्षि विद्या मंदिर बाड़ेछीना में उप प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी संभाल रही थी। कुछ पारिवारिक कारणों से वर्ष 2019 में जाब छोड़ने के बाद भी वह कुछ समय तक घर में बच्चों को पढ़ाती रही। इसी दौरान उनकी मुलाकात महिला हाट संस्था अल्मोड़ा की सचिव कृष्णा बिष्ट से हुई। कृष्णा से लता ने मशरूम उत्पादन के गुरु सीखें और वर्ष 2020 में मशरूम उत्पादन शुरू कर दिया। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने न केवल पहले ही प्रयास में 25 हजार रुपए का लाभ कमाया बल्कि इसके बाद वह क्षेत्र की अन्य महिलाओं को भी मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देने लगी। इसके बाद उन्होंने खेती में हाथ आजमाने का निश्चय किया, आज कल के पढ़ें-लिखे युवक युवतियों की सोच बदलने के उद्देश्य से लिए गए इस फैसले को भी उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से साकार कर दिखाया है। उनके खेतों में लहलहाती मटर, पालक, धनिया, बंद गोभी, फूल गोभी, लाई एवं लहसुन आदि फसलें इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। अब वह न केवल इससे अपनी आर्थिकी मजबूत कर रही है बल्कि उन्होंने क्षेत्र की दो महिलाओं को भी अपने खेतों में रोजगार दे रखा है।
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बात अगर लता की शैक्षिक योग्यता की करें तो मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के हवालबाग विकासखण्ड के चितई गांव निवासी लता ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव से प्राप्त की है। तत्पश्चात उन्होंने एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा से परास्नातक (एमए) तथा देहरादून से बीएड किया है। तत्पश्चात उन्होंने नई दिल्ली से एनटीटीई स्किल डवलपमेंट की 12 ट्रेनिंग, म्यूजिक कोर्स के साथ ही सिलाई कढ़ाई व पेंटिंग का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। वर्तमान में वह अल्मोड़ा के भातखंडे संगीत महाविद्यालय से संगीत की पढ़ाई भी कर रही है। इतना ही नहीं उन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। उनके द्वारा रचित पंक्तियां आकाशवाणी से आए दिन प्रसारित होते रहती है। बता दें कि लता के पति राजू कांडपाल, महिला हाट संस्था अल्मोड़ा के समन्वयक है। वह उन्हीं को अपना सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत मानती है। लता कहती हैं हमारे समाज में आजकल एक ट्रेंड बन चुका है कि पढ़ी लिखी लड़की खेती के कार्य नहीं करेगी। शादी के समय ही लड़कियों के परिजनों द्वारा उनकी बेटी को खेती के कार्य नहीं आने की बात कह देते हैं। शादी के बाद भी अधिकांश लड़कियां अपने खेतों की ओर मुड़कर भी देखना पसंद नहीं करती। समाज के बनाए इसी मिथक को तोड़ना उनका मुख्य उद्देश्य भी है कि उच्च शिक्षित महिला, बेटी और नौजवान भी खेती के कार्य कर सकते हैं।
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