Uttarakhand Private School Notice: मानक पूरे ना होने पर 50 से अधिक स्कूलों को नोटिस हुआ जारी, बंद होने की कगार पर 50 से अधिक स्कूल..
Uttarakhand Private School Notice: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित प्राइवेट विद्यालयों में मनमानी फीस वसूलने के साथ ही महंगी किताबें एवं स्टेशनरी खरीदने को लेकर छात्र और अभिभावक लगातार परेशान नजर आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर सरकार ने सीधे तौर पर निर्देश जारी करते हुए कहा था कि स्कूलों में मनमानी फीस और धड़ल्ले से चल रहे स्कूलों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। इतना ही नहीं बल्कि प्राइवेट स्कूलों में मनमानी से फीस वसूलने के बावजूद भी छात्रों की संख्या निजी स्कूलों में लगातार बढ़ रही है वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है जिस पर शिक्षा विभाग अब कार्यवाही करने के मूड में नजर आ रहा है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में वित्त पोषित विद्यालयों में जूनियर कक्षा 6 से 8 और माध्यमिक कक्षा 9 से 10 स्तर तक की शुल्क संरचना राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई है जिसके शासनादेश संख्या 380/xxiv-3/2005 मे कक्षा 6 से 8 के लिए ट्यूशन फीस शून्य निर्धारित है, जबकि कक्षा 9 से 10 के लिए यह रू0 15 प्रति माह है जिसको फिर से लागू किया गया है। इसके साथ ही अन्य शुल्क भी बेहद न्यूनतम रखे गए हैं ताकि छात्रों पर आर्थिक बोझ ना पड़े हालांकि निजी विद्यालय इस शासनादेश के बावजूद भी अपनी मनमर्जी के मुताबिक अभिभावकों से फीस वसूल रहे हैं जिनमें से कई विद्यालय मानक पूरा तक नहीं कर रहे हैं।
राजनीतिक संपर्क अच्छे होने के कारण नही करता कोई स्कूलों की शिकायत
बताते चलें कुछ विद्यालयों के राजनीतिक संपर्क अच्छे होने के कारण इन पर कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं है लेकिन अब ऐसे विद्यालयों पर शिक्षा विभाग एक्शन लेने के मूड में नजर आ रहा है जिसके चलते मानक पूरा न करने वाले 50 से अधिक विद्यालयों को नोटिस जारी कर दिया गया है। इतना ही नहीं बल्कि शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों से पेनल्टी वसूलने की तैयारी भी शुरू कर दी है जिससे नोटिस जारी होते ही स्कूलों में हड़कंप मच गया है।
अगस्त्यमुनि के खंड शिक्षा अधिकारी अतुल सेमवाल ने जाने क्या कहा ( Block Education Officer of Agastyamuni, Atul Semwal)
अगस्त्यमुनि के खंड शिक्षा अधिकारी अतुल सेमवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि विद्यालयों में विभिन्न शुल्कों के नाम पर छात्रों से अनावश्यक पैसा लूटा जा रहा है जो नियमों के विरुद्ध है इतना ही नहीं बल्कि शासनादेश में स्पष्ट रूप से प्रवेश शुल्क केवल प्रवेश के समय लिया जाना चाहिए इसके बाद कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता है यदि कोई शुल्क लेता है तो उसे वापस करना होगा वही कोई भी विद्यालय कॉशल मनी नहीं ले सकता है। 3 वर्षों में सिर्फ एक बार अधिकतम 10% फीस बढ़ाने की अनुमति है वही सीमित न्यास कंपनी या विद्यालय छात्रों के प्रवेश के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता है। हालांकि इन सभी बातों को नजरअंदाज कर कई स्कूल मनमानी करते हुए नजर आ रहे हैं।
छात्रों को महंगी किताबें खरीदने के लिए नही कर सकता कोई बाध्य ( No one can force students to buy expensive books)
बताते चले नियमों के मुताबिक किताबें और स्टेशनरी खरीदने के लिए विद्यालय छात्रों को महंगी किताबें या स्टेशनरी खरीदने के लिए मजबूर नही कर सकता है। यदि छात्र के पास पुरानी किताबें हैं तो उन्हें इस्तेमाल में लाया जा सकता है जरूरी नहीं की नई किताबे खरीदनी आवश्यक है। यदि अभिभावकों पर कोई भी अनावश्यक शुल्क का दबाव बनाता है तो वह इसकी शिकायत खंड शिक्षा अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कर सकते हैं। शिकायतों के आधार पर स्कूलों का पंजीकरण रद्द कर स्कूलों को बंद किया जा सकता है इसलिए मनमानी फीस वसूलने वाले विद्यालय वक्त रहते अपनी हरकतों में सुधार कर लें अन्यथा इसका भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
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