Bageshwar Uttarakhand news: हरीश ने महज 12 वर्ष की उम्र में किया कमाल, कबाड़ के सामान से बना दी जेसीबी मशीन, लोग कर रहे हैं तारीफ…
कहते हैं प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होते। चंद शब्दो की इस कहावत को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है पहाड़ के एक नौनिहाल ने। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले के भनार गांव निवासी हरीश कोरंगा ने, महज 12 वर्ष की उम्र में एक जेसीबी आपरेटर के इस बेटे ने कबाड़ से जेसीबी मशीन बनाकर न सिर्फ क्षेत्रवासियों को चौंका दिया है बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि सुविधा विहिन राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भी प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। सबसे खास बात तो यह है कि हरीश, जिस भनार गांव के रहने वाले हैं वहां अभी तक नेटवर्क की सुविधा तक नहीं पहुंची है बावजूद इसके हरीश का यह हुनर वाकई काबिले तारीफ है। तभी तो आज चहुंओर उनकी सराहना हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं।
(Bageshwar Uttarakhand news) यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: दुगालखोला की रुचि पंत बनी नैनीताल बैंक में चीफ मैनेजर
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले के भनार गांव निवासी हरीश कोरंगा ने कबाड़ के सामान जैसे बेकार मेडिकल इंजेक्शन, कापियों के गत्ते, आइसक्रीम की डंडियों एवं अन्य घरेलू सामान का उपयोग कर हाइड्रोलिक पद्धति पर आधारित जेसीबी मशीन तैयार की है। भले ही इस जेसीबी मशीन को तैयार करने के लिए बेकार पड़े सामान का उपयोग किया गया हों, परंतु यह वास्तविक जेसीबी मशीन की तरह ही कार्य करती है। बता दें कि 12 वर्षीय हरीश के पिता कुंदन सिंह कोरंगा जेसीबी आपरेटर हैं। हरीश वर्तमान में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भनार में नवीं का छात्र है। उनकी इस हुनर को प्रधानाचार्य महिमन सिंह समस्त विद्यालय परिवार एवं ग्रामीणों ने जमकर सराहा है। बताते चलें कि तकनीक में रूचि रखने वाला हरीश इससे पूर्व कबाड़ के सामान का सदुपयोग कर हेलीकॉप्टर भी बना चुका है।
(Bageshwar Uttarakhand news)
सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।