Shraddha kuhupriya Songs: श्रद्धा कुहुप्रिया दे चुकी धुन्याल गीत पण्डौ की प्रस्तुति, गाने मे बिखेर चुकी अपने सुरों का जादू…..
Shraddha Kuhupriya Songs: उत्तराखंड संगीत जगत एक ऐसा क्षेत्र है जो यहां की लोक-संस्कृति और परंपराओं को देश विदेशों तक पहुंचाती हैं जिसका श्रेय यहां के लोक कलाकारों को भी जाता है। इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ जाता है श्रद्धा कुहुप्रिया का जो देहरादून की उभरती हुई युवा गायिका है। श्रद्धा कुहुप्रिया जिन्होंने अपनी सुरमयी आवाज से धुन्याल गीत पण्डौ की प्रस्तुति दी जो की जीतू बग्ड़वाल की कहानी पर आधारित है। बता दें कि इस गीत को लोगों ने खुब प्यार दिया। इसी बीच उनका एक और खूबसूरत लोकगीत छूबकू यारों रिलीज हुआ जो की पहाड़ की लोक सस्कृति की वास्तविक झलक को दिखाता है।
उनके इस गीत में उत्तराखंड के पारंपरिक लोक संगीत की झलक देखने को मिलती है जिसका उन्होंने श्रोताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ा है। श्रद्धा की यह प्रस्तुति उत्तराखंड की संस्कृति और धरोहर को संजोने के लिए अपने आप में एक बड़ा योगदान है।
गायिका श्रद्धा कुहुप्रिया बॉलीवुड सिंगर ए आर रहमान से हो चुकी पुरस्कृत (Shraddha Kuhupriya Award)
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में श्रद्धा कुहुप्रिया ने बताया कि उनका जन्म राजधानी देहरादून मे हुआ लेकिन पहाड़ की लोक-संस्कृति और संगीत हमेशा उन्हें अपनी ओर खींचते रहा है। दरअसल श्रद्धा ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उत्तरकाशी में अपने नाना रामस्वरूप बलोनी से प्राप्त की तत्पश्चात उन्हें अनेक गुरु जनों का आशीर्वाद संगीत शिक्षा के रूप में मिला। जिसमें उन्हें सुप्रसिद्ध ठुमरी कजरी गायिका सुश्री सविता देवी, सुश्री शुभा मुद्गल, किराना घराने के संगीतज्ञ पंडित मणि प्रसाद से संगीत की बारिकियां आशीर्वाद स्वरूप मिली। इसके बाद उन्हें सुप्रसिद्ध ध्रुपद गायक नाद योगी पंडित श्री दत्त शर्मा से आशीर्वाद स्नेह का सौभाग्य मिला। श्रद्धा भारत के प्रमुख संगीत विश्वविद्यालय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से MA संगीत गायन में स्वर्ण पदक विजेता और प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद में रजत पदक के साथ संगीत की प्रवीण उपाधि धारक रह चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि हीरो होंडा सुर तरंग नेशनल अवार्ड में श्रद्धा राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए श्री ए आर रहमान से पुरस्कार सम्मान प्राप्त कर चुकी है।
श्रद्धा संगीत और विभिन्न शैलियों के क्षेत्र में अपने कौशल से एक सम्मानित स्थान पर निर्विवाद विजेता रही हैं जो IPCC इंडो पोलिश कल्चर कमेटी के माध्यम से पोलैंड में युवा वर्ग को भारतीय लोक नृत्य व लोकगीत का प्रशिक्षण दे रही हैं। श्रद्धा बताती है कि लोक जीवन से जुड़े लोकगीत हमारी संस्कृति की ही संगीतमय अभिव्यक्ति हैं। लोक-गीत यानि लोक के गीत है जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता है। श्रद्धा के प्रसिद्ध गीत धुन्याल पण्डौ ने बीते वर्ष खूब धूम मचाई है जिसे हर किसी द्वारा सराहना मिली है। बताते चले इस गीत का श्रद्धा कुहूप्रिया और पांडव का समवेत सह कार्य कोलैबोरेशन है जो जीतू बग्डवाल की कहानी पर आधारित है। श्रद्धा का कहना है कि संगीत की विद्यार्थी के रूप में अभ्यास साधना करते हुए वह अपनी लोक संस्कृति और विरासत को उत्तराखंड लोकगीत के क्षेत्र में इस गाथा के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। श्रद्धा बताती है कि उनका प्रयास लोकगीत के मूल तत्व और मूल आत्मा को संरक्षित व पोषित करते हुए विविध प्रयोगों के साथ युवा पीढ़ी को अपने लोक संस्कृति लोक भाषा और लोकगीत से जोड़े रखना है।यह भी पढ़िए:फौजी ललित मोहन जोशी और मीना राणा की जुगलबंदी में गाया 6 साल पुराना गीत हो रहा वायरल
वह बताती है कि हम चले आगे बढ़े नए प्रयोग करें लेकिन हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि अपनी जड़ों से जुड़े रहकर हम सृजन और लोकप्रियता के नए आयाम गढ़ते हुए अपनी लोक संस्कृति को सुरक्षित रख सके । उनका कहना है कि लोक जीवन से जुड़े यह लोकगीत हमारी संस्कृति की संगीत में अभिव्यक्ति है।
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