Uttarakhand: तीन दिवसीय दिल्ली दौरे में लिखी गई मुख्यमंत्री (CM) पद से तीरथ की विदाई की पटकथा, देहरादून पहुंचने के बाद तीरथ (Tirath Rawat) ने राज्यपाल को सौंपा अपना इस्तीफा, विधायक दल की बैठक के बाद आज राज्य को मिल सकता है एक और नया मुख्यमंत्री..
इसे उत्तराखण्ड (Uttarakhand) का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि 57 विधायकों के साथ बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा राज्य को एक स्थाई सरकार देने में असमर्थ रही। मार्च के महीने में पहले त्रिवेन्द्र की विदाई और अब तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा इसी सच्चाई को बयां करता है। जी हां… बीते 10 मार्च को उत्तराखण्ड के नए मुख्यमंत्री (CM) के रूप में शपथ लेने वाले तीरथ सिंह रावत (Tirath Rawat) ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को शुक्रवार देर रात अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राज्यपाल ने तीरथ का इस्तीफा मंजूर करते हुए नए मुख्यमंत्री के शपथग्रहण तक उन्हें राज्य का कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। उधर दूसरी ओर भाजपा ने अपने सभी विधायकों को शनिवार दोपहर तक देहरादून पहुंचने के आदेश जारी कर दिए हैं। बताया गया है कि शनिवार को दोपहर तीन बजे से देहरादून में भाजपा विधायक दल की बैठक होनी है। इसी बैठक में तय होगा कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा। संभावना जताई जा रही है कि इस बार प्रदेश के नए मुखिया का चयन विधायकों में से ही किया जाएगा।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार देर रात 11 बजे राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के साथ ही राज्य में एक बार फिर मार्च माह की तरह राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई है। बता दें कि बीते मार्च माह में जिस तरह नाटकीय और अप्रत्याशित तरीके से मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत की विदाई हुई थी, कुछ वैसे ही तीरथ सिंह रावत की विदाई की पटकथा भी लिखी गई। तीन दिनों से दिल्ली में डेरा जमाएं बैठे तीरथ ने शुक्रवार को देहरादून पहुंचते ही राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। जिस तरह से अप्रत्याशित बहुमत होने के बावजूद पांच साल के भीतर भाजपा प्रदेश को तीसरा मुख्यमंत्री देने जा रही है उससे तो यही लगता है कि राज्य में डबल इंजन सरकार के ब्रेक एक बार फेल हो गए हैं। चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री मोदी ने डबल इंजन की सरकार में जिस तरह विकास के सपने दिखाए थे वो सिर्फ मुख्यमंत्रियों की अदला-बदली तक ही सीमित रहें। इतना जरूर है कि मुख्यमंत्रियों की संख्या में जरूर बढ़ोतरी देखने को मिली है। 11 वर्षों तक सत्ता का सुख भोगने वाली भाजपा अभी तक उत्तराखण्ड में 7 बार मुख्यमंत्रियों का शपथग्रहण समारोह आयोजित कर चुकी हैं।