शिवांगी राणा ने साईकिल से तय किया 561 किमी का सफर, घर पहुँचते ही परिजनों ने किया भव्य स्वागत
बेटियाँ आज किसी क्षेत्र में पीछे नहीं है और इसमें कोई दोहराय भी नहीं है। अगर बात बेटियों की हो रही हो तो उत्तराखंड की बेटियाँ कैसे पीछे रह सकती है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं अपने अदम्य साहस और बुलन्द हौसलों से अकेले 561 किलोमीटर साहसिक साइकिल यात्रा पूर्ण करने वाली शिवांगी राणा की। बता दें कि पांच अक्तूबर को देहरादून के जोगीवाला निवासी शिवांगी अकेले ही साइकिल से माणा के लिए निकल पड़ीं। श्रीनगर, चमोली और फिर जोशीमठ में रुकते हुए वह माणा (बदरीनाथ) पहुंचीं। यहां से आगे भी वह रत्तकोण पहुंची तो आईटीबीपी ने उन्हें आगे जाने की इजाजत नहीं दी। हालांकि 4200 फीट की ऊंचाई पर अकेले साइकिल से जाकर उन्होंने रिकॉर्ड बनाया। शिवांगी इतने में ही नहीं रुकीं। इसके बाद लौटकर जोशीमठ पहुंचीं और फिर नीती के रास्ते पर निकल पड़ीं। नीती घाटी का सफर पूरा किया। सबसे खास बात तो यह है कि शिवांगी की ओर से दावा किया गया है कि अभी तक किसी भी लड़की ने दोनो घाटियां साइकिल से नहीं किया था।
शिवांगी मूल रूप से चमोली जिले के मलारी की रहने वाली है। शिवांगी राणा ने श्रीनगर से बीटेक की पढ़ाई की है। 18 अक्तूबर को नीती में भारी बारिश के कारण बर्फबारी हुई। जिसके चलते भूस्खलन से सड़क बंद हो गई। शिवांगी राणा मलारी में पांच दिनों तक फंसी रहीं। बर्फबारी और बारिश होने के कारण उनकी साइकिल भी मलारी में है। कई किलोमीटर पैदल चलकर वह गाड़ी तक पहुंची और उसके बाद सोमवार को देहरादून स्थित घर पहुंची। बताते चलें कि माना और नीती दोनों ही भारत की अंतिम गांव है। इस यात्रा के पीछे उनका लक्ष्य था की लोगो में महिला सशक्तिकरण को जागरुक किया जाए। शिवांगी ने कहा कि वह यह दिखाना चाहती थी कि वह अकेली लड़की कुछ भी कर सकती है। हिम्मत और विश्वास हो तो उसे जिंदगी में किसी की जरूरत नही। दून से माणा (बदरीनाथ) और फिर नीती घाटी की साइकिल यात्रा करने वाली शिवांगी सोमवार रात देहरादून लौटी हैं। यहां परिजनों ने उनका भव्य स्वागत किया।