Uttarakhand Martyr Pradeep Thapa: पंचतत्व में विलीन हुए शहीद हवलदार प्रदीप थापा, सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार…
बीते दिनों नागालैंड सरहद पर ड्यूटी के दौरान शहीद हुए मां भारती के वीर सपूत प्रदीप थापा रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। इससे पहले जैसे ही सेना के अधिकारी शहीद जवान का पार्थिव शरीर लेकर उनके पैतृक आवास पर पहुंचे तो परिजनों की आंखों से अश्रुओं की धारा बह निकली। शोकाकुल परिजनों का रूदन क्रंदन देखकर जहां वहां मौजूद हर शख्स गमहीन हो गया वहीं शहीद के छोटे-छोटे बच्चों के मासूम चेहरे देखकर परिजनों को सांत्वना देने आए ग्रामीण भी अपनी आंखों को नम होने से नहीं रोक पाए। परिजनों के अंतिम दर्शनों के बाद स्थानीय टपकेश्वर श्मशान घाट में शहीद जवान का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान उमड़े सैकड़ों लोगों ने मां भारती के इस लाल को नम आंखों से भावभीनी विदाई दी।
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गौरतलब है कि मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के अनारवाला निवासी प्रदीप थापा भारतीय सेना की 1/3 गोरखा रेजीमेंट में हवलदार के पद पर तैनात थे। बता दें कि वर्तमान में उनकी तैनाती नागालैंड सरहद पर थी जहां शुक्रवार को ड्यूटी के दौरान वह शहीद हो गए थे। रविवार सुबह उनका पार्थिव शरीर पैतृक आवास पर पहुंचा। इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने शहीद के घर पहुंचकर शोकाकुल परिजनों को सांत्वना देने के साथ ही शहीद प्रदीप थापा के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार शहीद के परिवार के साथ हमेशा खड़ी रहेगी। बताते चलें कि शहीद प्रदीप थापा अपने पीछे पत्नी सुजाता थापा के साथ दो बेटियां व एक बेटा छोड़ गए हैं। उनकी बड़ी बेटी 12 साल की है, जबकि दूसरी बेटी दस साल की है तथा महज एक साल का मासूम बेटा है, जिसका चेहरा देखकर वहां मौजूद कोई भी शख्स अपनी आंखों को नम होने से नहीं रोक पाया।
सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।