Uttarakhand unemployment berojgari rate: पूरे देश में बेरोजगारी के मामले में पहले स्थान पर उत्तराखंड, सर्वाधिक रही बेरोजगारी दर, युवा खा रहा ठोकरें, रोजगार के लिए पलायन करने को भी मजबूर…
एक ओर पलायन का दंश जहां समूचे उत्तराखण्ड की जड़ों को खोखला करते जा रहा है। वर्षों से आबाद पड़े गांव शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार व्यवस्था की बदहाली के कारण धीरे धीरे घोस्ट विलेज में तब्दील होने लगे हैं वहीं हमारी सरकारें, राजनैतिक दल एवं नेता अपनी अपनी रोटी सेंकने में व्यस्त हैं। वे न केवल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर राजनीति की नई दशा एवं दिशा तय कर रहे हैं बल्कि भोली-भाली पहाड़ की जनता को बरगलाने का काम भी कर रहे हैं। यही कारण है कि राज्य में आज बेरोजगारी चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। राज्य का पढ़ा लिखा युवा रोजगार के लिए सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर हैं। बड़ी बड़ी डिग्री, डिप्लोमा हासिल करने के बाद भी उसे दस हजार रुपए में जैसे तैसे अपनी और अपने परिवार की गुजर बसर करने को मजबूर होना पड़ रहा है। सच कहें तो हालिया सर्वे इसी का प्रत्यक्ष उदाहरण है जिसमें उत्तराखण्ड में बेरोज़गारी दर 15.5 फीसद रहने की बात कही गई है।
(Uttarakhand unemployment berojgari rate)
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देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश भी बेरोजगारी के मामले में उत्तराखण्ड से काफी पीछे, गुजरात में सबसे कम रही बेरोजगारी दर:
बता दें कि यह सर्वेक्षण रिपोर्ट केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण द्वारा अक्तूबर 2021 से दिसंबर 2021 के लिए जारी की गई है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भले ही उत्तराखंड में बेरोज़गारी दर पिछली तिमाही ( जुलाई से सितंबर 2021) से कम हुई हों परन्तु बेरोजगारी के मामले में आज भी उत्तराखंड पूरे देश में पहले स्थान पर है। जुलाई से सितंबर के बीच 17.4 फीसद रही थी। बात अगर देश के अन्य राज्यों की करें तो बेरोजगारी दर के मामले में उत्तराखण्ड के बाद केरल (15.2) एवं जम्मू कश्मीर (14.5) क्रमशः दूसरे एवं तीसरे स्थान पर है। वहीं पड़ोसी राज्यों में हिमाचल प्रदेश में बेरोज़गारी दर 11प्रतिशत एवं उत्तर प्रदेश में 09.4 फीसदी रही है। सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों की बात करें तो इसमें गुजरात (04.5 फीसदी) बेरोजगारी दर के साथ अंतिम स्थान पर है। अब सवाल यही उठता है कि जनता के सम्मुख बड़ी बड़ी राजनीतिक सभाएं करके अपनी शेखी बघारने वाले राजनैतिक दल, नेता एवं सरकार क्या राज्य के युवाओं के दर्द को समझने का प्रयास करेंगी। या एक बार फिर आरोप प्रत्यारोप के द्वारा इस सवाल को भी रसातल में जमींदोज कर दिया जाएगा कि पलायन और बेरोज़गारी रोकने के लिए वे क्या कर रहे हैं????
(Uttarakhand unemployment berojgari rate)
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