Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day
Uttarakhand news: How the musical journey of folk singer Hema Negi Karasi started, know his biography. Hema Negi karasi Biography

उत्तराखण्ड लोकसंगीत

पहाड़ी गैलरी

रूद्रप्रयाग

उत्तराखंड लोकगायिका हेमा नेगी करासी का संगीत सफर कैसे हुआ शुरू जानिए कुछ खास बातें

Hema Negi karasi Biography: बचपन से ही गीत गुनगुनाती रहती थी लोकगायिका हेमा, स्कूल के वार्षिकोत्सव में सार्वजनिक मंच से पहली बार गाया गाना, वर्ष 2005 में निकाली अपनी पहली एल्बम…

अपनी सुमधुर गायकी में क‌ई सुपरहिट गीत देकर लोगों को थिरकने को मजबूर कर देने वाली उत्तराखण्ड की सुप्रसिद्ध लोकगायिका हेमा नेगी करासी वैसे तो आज किसी भी परिचय की मोहताज नहीं है। परंतु आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी क‌ई अनछुई बातों से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। बता दें कि मूल रूप से राज्य के रूद्रप्रयाग जिले की रहने वाली लोकगायिका हेमा नेगी करासी का जन्म 5 अप्रैल 1984 को अगस्तमुनि विकासखण्ड के टुखिण्ड़ा गांव निवासी चन्द्र सिंह नेगी और बच्ची देवी के घर हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से प्राप्त करने वाली हेमा को बचपन से ही गीतों को गुनगुनाती रहती थी। खासतौर पर उन्हें जागर, मांगल और पर्यावरण से जुड़े गीतों में बचपन से ही रूचि थी। बताते चलें कि जब वह महज चार वर्ष की थी तो उनके पिता का देहांत हो गया परन्तु हेमा की मां बची देवी ने कभी भी बेटी के होंसले को नहीं टूटने दिया। बता दें कि अपनी मां बची देवी के विश्वास और सुरों की देवी मां सरस्वती का ही आशीर्वाद था कि हेमा की गायकी में दिन-प्रतिदिन निखार आता गया।
(Hema Negi karasi Biography)
ह भी पढ़ें- लोकगायिका हेमा नेगी करासी का दमदार गीत गिरात्वोली गिर गेन्दुवा-2 रिलीज होते ही हुआ हिट

देवभूमि दर्शन से खास बातचीत:-

देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में लोकगायिका हेमा नेगी करासी ने बताया कि वर्ष 2003 में जब उन्होंने जीआईसी कांड‌ई के वार्षिकोत्सव में पहली बार सार्वजनिक मंच से ‘धरती हमार गढ़वाल की’ गीत गाया तो न केवल वहां मौजूद हर शख्स अपनी सुध बुध खो बैठा बल्कि आकाशवाणी और दूरदर्शन से आए क‌ई जाने माने सितारों ने भी उनकी गायकी की जमकर सराहना की। यही से उन्होंने पहली बार उत्तराखंड संगीत जगत में कदम बढ़ाने शुरू किए। स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही वह धीरे धीरे लोकगायन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने लगी। बताते चलें कि वर्ष 2005 में उन्होंने अपनी पहली गढ़वाली आडियो एल्बम ‘क्या बुन तब’ रिलीज हुई। जिसे लोगों द्वारा खासा पसंद किया गया। इसी वर्ष उन्होंने सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के साथ मिलकर ‘कथा कार्तिक स्वामी’ एल्बम को भी अपनी आवाज दी।
(Hema Negi karasi Biography)
यह भी पढ़ें- लोकगायिका हेमा नेगी करासी के “हेमा नेगी करासी हिट्स” सीरीज ने फिर से मचाई धूम

अगर बात लोकगायिका हेमा नेगी करासी के गीतों की करें तो वह अब तक अपनी क‌ई गढ़वाली एल्बम निकाल चुकी है। खासतौर पर वर्ष 2011-12 में उनकी एलबम ‘माँ मठियाणी माई’ और वर्ष 2013 में रिलीज हुई ‘गिर गेंदुवा’ ने उन्हें लोकगायन के क्षेत्र में विशेष पहचान दिलाई। इसके अतिरिक्त आछरी जागर, मिठठु मिठठु बोली, मैंणा बैंजी, ढोल बाजे, नरसिंह जागर, खेला झुमेलो , बाला मोहना, सोभनू, मखमली घाघरी, मेरी बामणी, सेमनागराज जागर, चल बसंती, उत्तराखंडी मांगल गीत, मेरी राजुला, संजू का बाबा, गुडडू का बाबा और मेरी पराणी भी उनकी प्रमुख एवं सुपरहिट एल्बम है, जिनके गीतों को दर्शकों द्वारा खासा पसंद किया गया है। वास्तव में लोकगायिका हेमा नेगी ने उत्तराखण्ड रीति रिवाजों, लोक परम्पराओं को अपने गीतों के माध्यम से बेहतरीन ढंग से सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही कारण है कि आज भी उनके गीतों का जादू बड़े बुजुर्गो और युवाओं सभी की जुबां पर छा रहा है।
(Hema Negi karasi Biography)




उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के TELEGRAM GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

More in उत्तराखण्ड लोकसंगीत

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top