Deepak Bisht IMA: दीपक ने नहीं मानी विपरीत परिस्थितियों से हार, सुबह शाम ढाबे पर जाकर बटाते थे पिता का हाथ, बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर भी आर्थिक रूप से दिया पिता को सहयोग, अब कड़ी मेहनत से साकार किया अपने बचपन का सपना, आईएमए देहरादून से लेंगे प्रशिक्षण, बनेंगे सेना में अफसर….
एक बेहद पुरानी कहावत है कि ‘प्रतिभा किसी सुविधा या पैसों की मोहताज नहीं होती।’ यह भी कटु सत्य है कि यदि मन में लक्ष्य हासिल करने की सच्ची लगन हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। चंद शब्दो के इन दोनों ही वाक्यों को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है उत्तराखंड के एक होनहार एवं मेहनतकश युवा ने। जी हां… हम बात कर रहे हैं विपरीत परिस्थितियों से हार न मानकर सफलता का ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले दीपक बिष्ट की, जिनका चयन भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में हो गया है। मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के बगुना निवासी दीपक बिष्ट की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं समूचे क्षेत्र में भी खुशी की लहर है। सबसे खास बात तो यह है कि दीपक ने यह उपलब्धि बिना किसी कोचिंग के हासिल की है।
(Deepak Bisht IMA)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील क्षेत्र के ताड़ीखेत ब्लाक के बगुना गांव निवासी दीपक बिष्ट ने आईएमए की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। बता दें कि दीपक को आल इंडिया लेवल पर 101वीं रैंक हासिल हुई है। दीपक का परिवार वर्तमान में दिल्ली में रहता है। उनके पिता राजेंद्र सिंह बिष्ट दिल्ली में एक ढाबा चलाते हैं जबकि उनकी मां गीता बिष्ट एक कुशल गृहिणी हैं। बताते चलें कि आर्थिक रूप से एक बेहद कमजोर परिवार से ताल्लुक रखने वाले दीपक, अपनी पढ़ाई एवं आईएमए की तैयारियों के साथ ही जहां बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपने परिजनों का हाथ भी बटाते थे वहीं सुबह शाम वह पिता के ढाबे पर जाकर उनकी मदद भी करते थे। बात अगर दीपक की शिक्षा दीक्षा की करें तो दिल्ली के न्यू कोंन्डली क्षेत्र के सरकारी स्कूल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने वाले दीपक ने सूरजमल विहार स्थित प्रतिभा विकास विद्यालय दिल्ली से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। तदोपरांत उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजम कालेज से गणित में स्नातक की डिग्री हासिल की। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल दर्जे के छात्र रहे दीपक एक अच्छे एनसीसी कैडेट भी रहे हैं। उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से अपने बचपन के सपने को साकार किया है। अब वह आईएमए देहरादून में प्रवेश लेकर तीन वर्ष का कठिन प्रशिक्षण लेंगे, जिसके बाद वह सेना में अफसर बन जाएंगे।
(Deepak Bisht IMA)
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