नए संसद भवन में छा गई कुमाऊं की ऐपण कला नैनीताल की हेमलता ने बनाई शानदार कलाकृति
Published on
By
देश के नवनिर्मित संसद भवन की चर्चाएं इन दिनों समूचे देश विदेश में हो रही है। बीते 28 मई को ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। जिसके बाद से ही यह राजनीतिक जगत के साथ ही राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चाओं का हिस्सा बन गया था। इस नए संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही देश विदेश के लोगों को देवभूमि उत्तराखंड की एक होनहार बेटी की खूबसूरत कलाकृति के भी दीदार करने का मौका मिला। जी हां… हम बात कर रहे हैं राज्य के कुमाऊं मंडल की प्राचीनतम लोककला ऐपण को राष्ट्रीय फलक पर एक नई पहचान दिलाने वाली हेमलता कबडवाल की, जिनकी बनाई ऐपण कलाकृति नए संसद भवन में छा गई है। बताया गया है कि उनकी यह ऐपण कलाकृति उसी पीपल्स वाल में लगाई गई है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते 28 मई को किया था। सबसे खास बात तो यह है कि यह वाल पेंटिंग अब तक की सबसे लंबी वाल पेंटिंग में भी शामिल हुई है।
(new parliament building Hemlata Kabadwal)
यह भी पढ़ें- नैनीताल: विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम मेले की तैयारियां जोरों पर डीएम वंदना सिंह ने दिए निर्देश
प्राप्त जानकारी के अनुसार हेमलता कबडवाल मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर क्षेत्र के सतोली गांव की रहने वाली है। उन्होंने जन जननी और जन्मभूमि थीम पर नए संसद भवन के कला दीर्घा के तहत पीपल्स वाल में कुमाऊं की प्राचीनतम लोककला ऐपण का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है। बता दें कि राष्ट्रीय ललित कला अकादमी ने इस प्रोजेक्ट के लिए देश के विभिन्न राज्यों से लोक कलाकारों का चयन किया था। जिनका प्रतिनिधित्व उत्तराखंड की हेमलता कबडवाल ने किया। बताते चलें कि हेमलता ने फाइन आर्ट से एमए किया है। वह पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला की चमक बिखेर चुकी है।
(new parliament building Hemlata Kabadwal)
गढ़वाली कविता- भूली बिसरी गयी…Shubbi Bhole Bhandari poem भूली बिसरी गयी अपर बार त्यौहार ना पंचमी...
कुमाऊंनी कविता- हाय य असोज….Khushi Bhakuni Poem हम भाकुनियुक असोज कुछ अलग तरीकल मनई जा राती...
कुमाऊंनी कविता- “भूलती जड़ें, बुझती पहचान..”Ajay Arya “Khwarpir” poem हिटो बबा, हिटो बबा सुनणै-सुनणै बाब हिटण...
कुमाऊंनी कविता- चलो म ये काम त आऊं…ramesh joshi poem चलो म ये काम त आऊं।...
गढ़वाली कविता- रौंदू पहाड….Anshu dangwal poem आज कू पहाड़ी बिसरी गेनी आपणी संस्कृति पछांण नि औंनी...
कुमाऊंनी कविता- पहाड़ी नौकर…Neeraj Pant Poem कसी बनूल मैं पहाड़ी नौकर… बाज्यू क बीड़ी चे ईज...