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Rangbhang Kumaoni Song
फोटो: सोशल मीडिया

उत्तराखण्ड लोकसंगीत

पहाड़ी गैलरी

पहाड़ की लोक संस्कृति पर बना गीत ‘रंगभंग’ हुआ हिट युवाओं से लेकर बुजुर्गों के बीच छा गया

Rangbhang Kumaoni Song: लोकगायक प्रहलाद मेहरा ने स्वयं लिखे हैं गीत के बोल, युवा गायिका ममता आर्या के साथ दी है अपनी मधुर आवाज…

Rangbhang Kumaoni Song
उत्तराखण्ड संगीत जगत को हजारों न‌ए पुराने सुपरहिट गीत देकर लोगों के दिलों में खास जगह बनाने वाले लोकगायक प्रहलाद मेहरा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। लोकगायक प्रहलाद मेहरा का एक और खूबसूरत गीत बीते दिनों रंगभंग- खोला पारी बीते दिनों मसकबीन यूट्यूब चैनल के बैनर तले रिलीज हो गया है। जिसमें उनके साथ कुमाऊं की प्रसिद्ध युवा गायिका ममता आर्या ने बेहतरीन जुगलबंदी की है। दोनों की मधुर आवाज़ में रिलीज हुए इस गीत की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चंद दिनों के भीतर ही जहां इसे 10 लाख से अधिक लोगों द्वारा देखा जा चुका है वहीं अधिकांश लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिली है। इसे पसंद करने वालों में युवा पीढ़ी के साथ ही बड़े उम्रदराज लोग भी शामिल हैं। जहां आज युवाओं का रुझान रैप सोंग, और रीमिक्स के साथ ही तड़कते भड़कते गानों की ओर जा रहा है वहीं इसी बीच सुप्रसिद्ध लोक गायक प्रहलाद मेहरा और ममता आर्य की जुगलबंदी से पहाड़ की लोक संस्कृति को प्रदर्शित करता एक खूबसूरत गीत रंगभंग रिलीज किया गया जिसने सभी युवाओं को बरबस ही अपनी संस्कृति की ओर खींच लिया। पहाड़ में पुराने समय में विवाह के रीति रिवाज को बखूबी प्रदर्शित करता यह गीत युवाओं द्वारा भी बेहद पसंद किया जा रहा है जिससे वे अपनी लोक संस्कृति को समझ पा रहे हैं।

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Rangbhang Prahlad Mehra
आपको बता दें कि लोकगायक प्रहलाद मेहरा एवं युवा गायिका ममता आर्या की बेहतरीन जुगलबंदी में रिलीज हुए इस गीत को स्वयं लोकगायक प्रहलाद मेहरा ने लिपिबद्ध करने के साथ ही इसकी लय भी तैयार की है। सोहन चौहान द्वारा निर्देशित इस गीत में रणजीत सिंह ने अपना मनमोहक संगीत दिया है, जो गीत को और भी अधिक कर्णप्रिय बना रहा है। बताते चलें कि गीत के विडियो में कुमाऊं की युवा अदाकारा स्वेता माहरा एवं हिमांशु आर्या द्वारा किए गए शानदार अभिनय ने चार चांद लगा दिए हैं और कोरियोग्राफर के साथ ही एडिटर की भूमिका गोविंद नेगी द्वारा निभाई गई है।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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