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kamlesh airy poem
फोटो देवभूमि दर्शन kamlesh airy poem

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता लोकगीत- “कसि मजबूरी हयी हमुलै छोड़ पहाड़ा” कमलेश ऐरी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

पलायन पर कुमाऊंनी कविता (लोकगीत)- कसि मजबूरी हयी हमुलै छोड़ पहाड़ा….kamlesh airy poem

कसि मजबूरी हयी हमुलै छोड़ पहाड़ा,
हरिया भरिया स्यारा रंगीलौ म्यर पहाड़ा,,
द्वि रव्टा खातीरा ओ भुली हमुलै छौड़ौ पहाड़ा। ओ बैणा हमुलै…..
हमरौ पहाड़ा मजी रोजगार कम जै हुछी,
यै लिजी मजबुरी में हमूलै घरबार छौड़ी,,
आज यूं बाज् कुडबाडी कैं देखी म्यर झुरुछौ पराणा। ओ बैणा म्यर झुरुछौ पराणा….
यौ पहाडै़ देवभूमि में बाणी – बाणी देवों का वासा,
यौ पहाडै़ देवभूमि छु चारो धाम,
गाड़ गध्यारा लै बही रैंछौ मेरी गंगा माता,,
कतु भौलौ लागुछौ ओ भुली गंगा में डुबकी लगुणा। ओ बैणा गंगा में डुबकी लगुणा…..
देवों की देवभूमि में भौत छिना तीरथ धामा,
एक धार् केदारनाथा दुसौर धार् बद्री धामा,,
के भाला छाजि रनी ओ भुली हिमाला का ऊँचा डाना। ओ बैणा हिमाला का ऊँचा डाना…..
कुमाऊँ मण्डला मजी डान कना में देवी थाना,
के भौलौ रंग जमी रौ मानिला कौ हरिया डाना,,
दूर परदेश मजी याद औछौ घुघुती कौ घुर-घुराणा। ओ बैणा घुघुती कौ घुर घुराणा…..
रंगीलौ पहाड़ा मजी मन्खी लै रंगीला हनी,
ब्या बरेती खेल कौतिकौं में झ्वाड़ा चॉचरी कनी ,,
यौ माटी कौ पुतवौ परदेस छौ मन आपणा पहाड़ा।। ओ बैणा मन आपणा पहाडा़……
द्वि रव्टा खातीरा ओ………
रचना- कमलेश सिंह ऐरी, गुइयां बलुवाकोट, तहसील- धारचूला, जिला- पिथौरागढ़ (उत्तराखण्ड) kamlesh airy poem
यह भी पढ़ें- कुमाऊंनी कविता- “शराब कर री पहाड़ बर्बाद….” प्रियंका बिष्ट (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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