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Ajay Kumar Arya “Khwarpir” poem
फोटो देवभूमि दर्शन Ajay Kumar Arya “Khwarpir” poem

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता- “भूलती जड़ें, बुझती पहचान” अजय कुमार आर्य “ख्वरपीड़” (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

कुमाऊंनी कविता- “भूलती जड़ें, बुझती पहचान..”Ajay Arya “Khwarpir” poem

हिटो बबा, हिटो बबा सुनणै-सुनणै
बाब हिटण लैग्येईं,
हिटनै-हिटनै,
बाब पिछाण देखण भुलण लैग्येईं।
गोरु-बछाक के कछां हो दाज्यू,
मनखियां कलै चाण, भुलण लैग्येईं ।
मनखियांक् के बात कछै हो, बंधु ।
इज-बाज्यू कलै देखण-चाण लैग्येईं,
अपण रित-भांत सब भुलण लैग्येईं ।
हिंदी ब्लाण में अब हम शरमाण लैगोई।
जिबड़ नी लटपटान अब अंग्रेज़ी ब्लाण में,
गज-बजी जानू हो दाज्यू,
अब पहाड़ि ब्लाण में ।
इज-बाज्यू अब मौम-डैड हैग्येईं,
चावमिन फ्राइड राइस खानै-खानै सब सैब
हैग्येईं ।
झोई-भात आलूक् गुटुक् हम भूलण लैगोई,
रैत-पकोड़ी के बात कछा हो सैबो,
अपणि बोली-अपणि भाषा सब भुलण लैगोई ।
जनमबारक् दिन अब बड्डे पाटि,
और बड्डे पाटि दिन अब शराब पिण और पिलाण लैगोई ।
पाटि के कछा हो सैबो,
जागरी दिन लै
अब शराब पिण और पिलाण लैगोई ।
अपण रित-भांत बोली-भाषा, सब भुलण लैगोई ।
बाखयिक्-बाखयी
अब खालि हण लैगीं।
पहाड़क पीढ़ अब,
दिन-ब-दिन
पहाड़ जसि मुश्किल हण लैग्ये,
मुश्किलॉक के कछा हो, दाज्यू
जनम लिण फिर लै सरल छू,
मरण में दाज्यू
भौत्ते मुश्किल हण लैग्ये ।
अस्पताल में डॉक्टर देखण,
सैणियाकणि रोड तक ल्याण और
इज-बाज्यूकणि तिथाण लीजाण
अब भौत्ते मुश्किल हण लैग्ये ।
इन मुश्किलाक् के कछा हो भगवन !
पहाड़क्-पहाड़ अब दरकण लैग्येईं ।
लौड-मौड सब भ्यार नैग्यईं,
बूढ़-बाड़ि एक-दुहरौक मुख चाईयै रैग्येईं ।
अपण रित-भांत, बोली-भाषा, संस्कृति-सभ्यता
सब भुलण लैग्येईं ।
हिटो बबा, हिटो बबा सुनणै-सुनणै
बाब हिटण लैगीं
ख्वरपीड़क् य बात छू,
हिटनै-हिटनै,
बाब हमार
अपण रित-भांत, बोली-भाषा, संस्कृति-सभ्यता सब भुलण लैगीं।
ना बबा, ना
अपण बूढ़-बाणियाक् बात भलि कबै मानि करो
अपण बोलि-भाषा, रित-भांत
सबूकै भलि भॉं सम्मान करो ।
तबै तुम
य दिन-य बारुंकणि भलिकै भेटनै रला ।
तबै हमरि-तुमारी
रित-भांत, बोलि-भाषा
संस्कृति-सभ्यता
दूबकै जैसि हरिऽयां रलि,
जब तक जुनैरात छू,
हिमाल् में ह्यू
और
गंगा में पाणि छू
हमरि रित-भांत,
बोली-भाषा,
संस्कृति-सभ्यता
युग-युगान्तर तक अविरल प्रवाहमान रलि
दूबकै जैसि हरिऽयां रलि !!
रचना- अजय कुमार आर्य “ख्वरपीड़”
पता – 14, “श्रीगंगा-भागीरथी कुँज”, जगदम्बा विहार, द्रोणसागर मार्ग, श्रीगांधी आश्रम के पीछे, काशीपुर-244713, ज़िला ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड
Ajay Arya “Khwarpir” poem

यह भी पढ़ें- कुमाऊंनी कविता- “पहाड़क हिसाब….” कविता कैड़ा (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

देवभूमि दर्शन मीडिया उत्तराखंड लोक-संस्कृति भाषा – बोली और लोक परंपरा को बढ़ावा देने हेतु एक पहाड़ी कविता प्रतियोगिता कुमाऊनी गढ़वाली एवं जौनसारी में आयोजित करवाने जा रहा है। कविता उत्तराखंड के किसी भी मुद्दे पर हो सकती है अथवा लोक संस्कृति और लोक परंपरा पर भी आधारित हो सकती है लेकिन स्वरचित होनी चाहिए। आपकी यह कविता आपके नाम से हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित होगी और उसका लिंक आपके साथ भी साझा किया जाएगा।
आप दिनांक 17 से 24 तक अपनी कविताएं हमें अपने पते, फोटो और संपर्क सूत्र के साथ मेल आईडी : [email protected]
अथवा व्हाट्सएप:
+917455099150
पर भेज सकते हैं।
रिजल्ट:
इस प्रतियोगिता का परिणाम 30 जनवरी को आएगा। काव्य संकलन प्रभाग के निर्णायक समिति का निर्णय सर्वमान्य होगा।
प्रथम विजेता को उपहार:-
2 हजार+ गिफ्ट हैंपर।
द्वितीय विजेता को
1 हजार+ गिफ्ट हैंपर
तृतीय विजेता को
गिफ्ट हैंपर
देवभूमि दर्शन मीडिया
(काव्य संकलन प्रभाग)

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