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ramesh joshi poem
फोटो देवभूमि दर्शन ramesh joshi poem

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता- “- चलो म ये काम त आऊं…” रमेश चंद्र जोशी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

कुमाऊंनी कविता- चलो म ये काम त आऊं…ramesh joshi poem

चलो म ये काम त आऊं।
मैसुली(लोगुली) छोड़ी,
जानवरुली अपनायूं,
मौसुली (लोगुली) छोड़ी,
जानवरुली अपनायूं,
चलो म ये काम त आऊं।।२।।
दूर जाबेरै लै,
मै बाटुली लगुनी,
म रूनी वाल पहाड़क छु,
य सबु कै बतूनी,
भाबर जाबेरै लै,
म उनुकी यादों मैं आऊं,
चलो म ये काम त आऊं।।२।।
जब जन पड़ी सब मैंखन छोड़ी बेरै,
य जंगव मै एकलै राखी बेरै,
मन त मेर लै छी उनू सीमेतै जनक,
पर जा ना पाऊं,
चलो म ये काम त आऊं।।२।।
जै आंगन मैं हमेशा बाहार रुच्छी,
ऊनी जान्नी वालूकी भरमार रुच्छी,
उ आंगन मैं आज म एकलै रयूं,
चलो म ये काम त आऊं।
चलो म ये काम त आऊं।
रचना- रमेश चंद्र जोशी, ग्राम- भेटा, ब्लॉक -ओखलकांडा
जिला- नैनीताल( उत्तराखण्ड)
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यह भी पढ़ें- गढ़वाली कविता- “मेरु स्वर्ग सी पहाड़……” पूजा नेगी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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