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Anshu dangwal Poem
फोटो देवभूमि दर्शन Anshu dangwal poem

उत्तराखण्ड

गढ़वाली कविता- “रौंदू पहाड…..” अंशु डंगवाल (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

गढ़वाली कविता- रौंदू पहाड….Anshu dangwal poem

आज कू पहाड़ी बिसरी गेनी आपणी संस्कृति पछांण
नि औंनी खुद पहाड़ों की
नि रेगे झिकुडी मां प्यार
बल विकास कु नाम पर काटी डाली ब्वोटी हमारी
सब जागा दिखणु अब हाहाकार
मनखी चली कुड़ी छोड़ी अपणी
बान्दर सुंगरों को ह्वेगी अत्याचार
बल तुमू ते बुल्योंणु
यू रौन्दू पहाड़
बिसरी गे कौदे रोटी अर झोयी साग
बल भैजी हमु त चैनी अब चिकन कबाब
शुद्ध हवा पाणी छोड़
बसी गे तन धुआं गा बजार
बल तुम ये बुल्योंणु
यू रौन्दू पहाड़
अपणीं संस्कृति अपणीं पछांण
न बिसरा अपणां संस्कार
देवतों की भूमि मा
बस्यां मनखी सीधा साधा
काम काज अर लिबाज
कन नि होलू विश्वास
शुद्ध हवा साफ पाणीं
जड़ी बूटियों कु भंडार च हमार पहाड़
घर कू खाणूं घर कू प्यार
कख मिललो यन संसार
बल अब त ऐ जावा तुम
तुमू ते बुल्योंणु यू
तुमारो रौन्दू पहाड़
जनी प्यार तनी दुलार
हे पहाड़ी एक बार तु ऐजा घार
बल भैजी तुमू ते बुल्योंणु
यू रौन्दू पहाड़
रचना- अंशु डंगवाल, ग्राम- जाख, कर्णप्रयाग, जिला- चमोली (उत्तराखण्ड)
Anshu dangwal Poem

यह भी पढ़ें- कुमाऊंनी कविता- “पहाड़ी नौकर…” नीरज पंत (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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