Ambika aswal died in bhatwari Uttarkashi due to fell into ditch during bear attack Uttarakhand news today उत्तरकाशी में फिर भालू का आतंक: जंगल में घास लेने गई महिला की पहाड़ी से गिरकर मौत, 10-15 दिनों के भीतर दूसरी घटना
Ambika aswal died in bhatwari Uttarkashi due to fell into ditch during bear attack Uttarakhand news today: उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानव वन्य जीव संघर्षो की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। कई बार जंगली जानवरों के हमले में तो कई बार उनसे बचने के चक्कर में डरे सहमे ग्रामीण हतोत्साहित होकर अपनी जान गंवा रहे हैं। ऐसे ही कुछ हालात इन दिनों राज्य के उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक में बने हुए हैं।
जहां महज 10-15 दिनों के भीतर दूसरी बार भालू के हमले में एक और महिला की जान चली गई। बताया गया है कि गुरुवार को भटवाड़ी ब्लॉक के हीना गांव में घास काटने गई एक महिला भालू से बचने के प्रयास में पहाड़ी से गिर गई और उसने मौके पर ही दम तोड दिया। इस घटना से जहां क्षेत्र में हड़कंप के साथ ही दहशत व्याप्त है वहीं ग्रामीण वन विभाग से भी खासे आक्रोशित हैं।
भालू से बचने को भाग रही थी अंबिका, पैर फिसलने से गिरी गहरी खाई में
अभी तक मिल रही जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी विकासखण्ड क्षेत्र के हीना गांव निवासी 27 वर्षीय अंबिका देवी, पत्नी अंकित असवाल, गांव की अन्य महिलाओं के साथ रोज की तरह बीते गुरुवार को भी जंगल में घास लेने गई थीं। बताया गया है कि घास काटते समय झाड़ियों में छिपे भालू ने अचानक हमला कर दिया। महिलाएं भयभीत होकर भागने लगीं। अंबिका भी जान बचाने के लिए दौड़ीं, लेकिन अफरातफरी में उनका पैर फिसल गया और वह पहाड़ी से नीचे गिर गईं। गहरी खाई में गिरने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
दस दिन पहले इसी तरह के हादसे में विनीता की भी गई थी जिंदगी
घटना की जानकारी साथ की महिलाओं ने गांव लौटकर दी। इसके बाद ग्रामीण मौके पर पहुंचे और शव को बरामद कर गांव लाए। सूचना मिलने पर पुलिस और वन विभाग की टीम भी घटनास्थल पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले सप्ताह बीते 26-27 अक्टूबर को औंगी गांव में भी भालू के हमले में एक महिला विनीता राणा पत्नी सतेंद्र राणा की मौत हो चुकी है, लेकिन वन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। विभाग द्वारा केवल औपचारिक रूप से पटाखे जलाकर भालू को भगाने की कोशिश की जाती है, जबकि क्षेत्र में भालू की बढ़ती सक्रियता से ग्रामीण दहशत में हैं।
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स्थानीय निवासी विजयपाल मखलोगा ने बताया कि हर दिन लोग घास और लकड़ी के लिए जंगल जा रहे हैं, मगर अब यह रोज़मर्रा का काम जानलेवा बनता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग को भालू को पकड़ने या उसे सुरक्षित क्षेत्र में भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए। डीएफओ डीपी बलूनी ने बताया कि “घटना की जानकारी मिलने के बाद एसडीओ और रेंज अधिकारी को जांच के निर्देश दिए गए हैं। सभी पहलुओं की जांच की जाएगी। यदि भालू के हमले की पुष्टि होती है तो नियमानुसार मुआवजा और अन्य कार्रवाई की जाएगी।”
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