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Neeraj Pant Poem
फोटो देवभूमि दर्शन Neeraj Pant Poem

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता- “पहाड़ी नौकर…” नीरज पंत (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

कुमाऊंनी कविता- पहाड़ी नौकर…Neeraj Pant Poem

कसी बनूल मैं पहाड़ी नौकर…
बाज्यू क बीड़ी चे
ईज क धिकाड़ चेनी!
सैणी लीजि कनफूल बनान छू नानतिनों
तुमार ले फ़ीस भरन छ ने आई ?
बता त रे शेरूवा..कसी बनूल मैं पहाड़ी नौकर!
बाज्यू… मिक् सोचन दियो I
भाबर् जेबेर पढ़न दियो
टाइल लगी कमरों म् भेबेर
मिक् जरा चमकणी दियो I
ईज दगें मिक् तुम
हल्द्वाणी गलियों में बसें दियो I
बताओ न् बाज्यू… बनूल न् मैं भाबरक् नौकर!
जाओ रे जाओ! जे कर छा जाओ I
देशी ठेकेदार क् बेच बे तल्ली गाड़…
जाओ जा जा छा तुम ले जाओ I
हे रामों! हे श्यामो!
तुम ले बताओ!
म्यार सोरों क् तुम ले चिताओ
अड़ड़ू खेलनी य भूमि में
दुई- चार आहाड तुम ले के जाओ!
देवा रे देवा! सुन मेरी मेवा!
बंजर खोपडी क् भंन्न पटकाओ
पहाड़ों हरी दुबा जड़ा क्
चमके जाओ! आओ पे आओ!
बताओ पे दयापतों!…सही- सही बताओ!
सार फैक्ट्रियों मालिकों क् पहाड़ो में बसाओ!
कसी बनूल में पहाड़ी नौकर…
म्यार गोल्यू तुम ही बताओ!!
रचना- नीरज पंत पुत्र स्व. श्री मनोज चंद्र पंत, ग्राम- पिलखोली, पोस्ट ऑफिस- पिलखोली, जिला- अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)
Neeraj Pant Poem

यह भी पढ़ें- कुमाऊंनी कविता- “चाओ रे म्यार पहाड़ बचाओ रे म्यार पहाड़..” लता काण्डपाल (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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