Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day
HOME STAY SCHEME IN UTARAKHAND

UTTARAKHAND HOMESTAY YOJNA

उत्तरकाशी

उत्तराखण्ड

पहाड़ के दस बेरोजगार युवाओ ने होम स्टे को बनाया स्वरोजगार ,घर बैठ के हो रही अच्छी खासी कमाई

उत्तरकाशी में बेरोजगार युवाओ ने होम स्टे (HOME STAY SCHEME ) को बनाया स्वरोजगार का माध्यम, पहाड़ की सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोये रखना है उद्देस्य

उत्तराखण्ड राज्य जहाँ कई  संघर्षों और आंदोलनों के बाद बना, वही बदले में आज मिला तो बस पलायन , जिसके पाछे मुख्य कारण है बेरोजगारी, लचर स्वास्थ्य सेवा, मूर्छित सिस्टम और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी। राज्य के युवाओं के पास रोजगार नहीं है, और जिसकी वजह से उनका यहां रुकना दूभर हो गया है। सात लाख से अधिक युवा बेरोजगारी की कतार में भिन्न रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत हैं। हालत इतने जर्जर हो चुके है, फिर भी पहाड़ो से पलायन के लिए सरकार दवारा कोई उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है। पहाड़ो में भी अनेक रोजगार उत्पन्न किये जा सकते है , लेकिन उसके लिए जरुरत है, तो एक सृजनात्मक और रचनात्मक सोच के व्यक्तित्व की।




घर बैठ के हो रही कमाई : पहाड़ो से पलायन रोकना है तो जरूत है स्वरोजगार की , जिसके लिए काफी युवा आज होम स्टे , और पर्यटन के माध्यम से कार्य कर रहे है। आज हम बात कर रहे है, उत्तरकाशी के रैथल गांव के दस बेरोजगार युवाओ की, जिन्होंने होम स्टे (HOME STAY SCHEME) अपनाकर अपने घर में ही अच्छा खाशा रोजगार पा लिया और हर माह 20 से 30 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं। आज होम स्टे योजना पहाड़ से पलायन रोकने के साथ ही बेरोजगारी दूर करने में बेहद कारगर साबित हो रही है। इसकी मिशाल पेश कर रहे हैं उत्तरकाशी के रैथल गांव के दस बेरोजगार युवा, जिन्होंने होम स्टे अपनाकर अपने घर में ही सम्मानजनक रोजगार पा लिया और हर माह 15 से 30 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं। होम स्टे शुरू करने के बाद से ही उनकी आर्थिकी में बहुत अच्छा इजाफा हुआ है। जहाँ पहाड़ के युवा 10 , 20 हजार की नौकरी के लिए शहरो में भटक रहे है, वही इन बेरोजगार युवाओ ने पहाड़ में स्वरोजगार को अपनी आजीविका का साधन चुना।

यह भी पढ़े-पहाड़ के चार युवाओ ने वर्षो से बंजर पड़ी भूमि को एडवेंचर कैंप में तब्दील कर जगाई स्वरोजगार की अलख
बता दे की जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 42 किमी दूर रैथल गांव जो की प्रसिद्ध दयारा बुग्याल का बेस कैंप भी है। वर्तमान में इस गांव में 175 परिवार निवास करते हैं, जिनकी आर्थिकी का मुख्य जरिया पशुपालन और खेती है। लेकिन इस से सिर्फ उनका गुजारा ही हो सकता है। ऐसी परिस्थितियों में एक साल पहले एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना ने ग्रामीणों को होम स्टे के लिए प्रेरित किया। इस योजना के माध्यम से गांव के ही बेरोजगारों विजय सिंह राणा, अरविंद रतूड़ी, देवेंद्र पंवार, यशवीर राणा, सोबत राणा, मनवीर रावत, सुमित रतूड़ी, जयराज रावत, रविंद्र राणा ,और अनिल रावत को होम स्टे के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने अपने ही पुश्तैनी के कमरों की साफ-सफाई कर उन्हें होम स्टे के लिए तैयार किया। इनके लिए सबसे बड़ा फायदा ये था की इनके गांव के निकट दयारा बुग्याल था , जहाँ पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। इन्होने शुरुआत में दयारा बुग्याल आने-जाने वाले पर्यटकों से संपर्क किया। जो पर्यटक एक बार होम स्टे में ठहरा, उसने लौटकर अपने मित्र-परिचितों को भी होम स्टे में ठहराने के लिए भेजा। अब तो पर्यटकों के होम स्टे में ठहरने का सिलसिला-सा चल पड़ा।

यह भी पढ़े-देवभूमि की बेटी देवेश्वरी बिष्ट, इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ ट्रेकिंग से स्वरोजगार की अलख जगा रही है
क्या है होम स्टे योजना: अतिथि-उत्तराखण्ड्ड ‘गृह आवास (होम स्टे) नियमावली’ के शुभारंभ के पीछे मूल विचार विदेशी और घरेलू पर्यटकों के लिए एक साफ और किफायती तथा ग्रामीण क्षेत्रों तक स्तरीय आवासीय सुविधा प्रदान करना है। होम स्टे में देशी-विदेशी सैलानियों को पहाड़ की संस्कृति, सभ्यता, खानपान और रहन-सहन से रूबरू कराया जाता है। ताकि पहाड़ की संस्कृति का देश के विभिन्न प्रांतों के साथ ही विदेशों में भी प्रचार-प्रसार हो सके। साथ ही पहाड़ आने वाले पर्यटक जो की दूर-दराज के गांवों में पहुंचे तो उन्हें कोई परेशानी नहीं हो और वे ग्रामीणों के बीच उनके मेहमान बनकर रहें।

More in UTTARAKHAND HOMESTAY YOJNA

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top