उत्तराखण्ड : विदेश की अच्छीखासी नौकरी छोड़ पहाड़ में चलाया स्वरोजगार.. अब बढ़ी बाजार में डिमांड
उत्तराखण्ड के लिए पलायन एक ऐसा कलंक जिसकी छाप लिए आज हर पहाड़ी वर्ग कही दूर शहरो की चकाचौंध दुनिया में जा बसा है। लोगो का पहाड़ो से पलायन करना एक समय में मजबूरी जरूर थी लेकिन अभी सिर्फ देखादेखी में लोग अपनी जन्मभूमि को छोड़ शहरो की ओर रूख कर रहे है। जरुरी नहीं आप भी सरकार के भरोसे बैठे आप भी कोई उचित कदम उठा सकते है। ऐसा ही एक कदम उठाया है देहरादून के पवन पाठक ने जो विदेश में अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक स्थित ढुईंक गांव में पहाड़ की विरासत को संजोने में जुटे हुए हैं। पवन का मुख्य उद्देश्य पहाड़ से हो रहे पलायन को रोकना, बंजर पड़ी खेती को आबाद करना, पहाड़ के पौराणिक मकानों को नवजीवन प्रदान करना और ईको कंस्ट्रक्शन करना है। उनकी इस मुहिम में विदेशी छात्र-छात्राएं भी हाथ बंटा रहे हैं।
फार्म हाउस से सीधे मंडी में जाता है उनका उत्पाद : देहरादून से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद पवन पाठक ने वर्ष 2013 से 2016 तक जर्मनी में फार्मा मॉडलिंग में एमबीए किया। इस दौरान उन्हें जर्मनी की एक कंपनी में 3.5 लाख रुपये का मासिक पैकेज भी मिल गया, लेकिन मन तो आज भी उत्तराखण्ड की हसीन वादियों के बीच मडरा रहा था। पहाड़ के लिए कुछ नया करने का जुनून उन्हें वापस गांव खींच लाया। बता दे की पवन मार्च 2018 से डामटा के निकट ढुईंक गांव में फार्मा मॉडलिंग का कार्य करने में जुटे हैं। इसके तहत वह जीर्ण-शीर्ण मकानों का उद्धार, जैविक खेती और पहाड़ की पौराणिक विरासत को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। अगर बात के पवन के फार्म की तो इस वर्ष उन्होंने करीब दो लाख रुपये के जैविक सेब बेचे हैं। इसके अलावा वह फार्म में राजमा, आलू, दाल, मक्का, गेहूं आदि की फसलें तैयार करने में जुटे हुए हैं। पवन कहते है की बीते दो वर्षों में उन्होंने अपने फार्म में जो भी जैविक उत्पाद तैयार किए, उन्हें वह देहरादून की मंडियों में बेच देते हैं। इसके लिए देहरादून के ही मैकेनिकल इंजीनियर अंकित अरोड़ा समेत ढुईंक के ग्रामीण भी पूरा सहयोग कर रहे हैं। सबसे खाश बात तो ये है की इस मुहिम में उनका साथ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की से पीएचडी कर रहीं नीदरलैंड की मारलुस भी दे रही हैं। जिन्हे पहाड़ की संस्कृति को जानना ओर समझना है।
न्यूज़ साभार – दैनिक जागरण