Pithoragarh Cave News : सेलीपाख में मिली रहस्यमई गुफा, अंदर मिले नर कंकाल, विशालकाय खोपड़ी मिलने से बढी लोगों की उत्सुकता….
Pithoragarh Cave News Berinag : उत्तराखंड अपनी संस्कृति और पुरातत्व इतिहास को समेटे हुए हैं जिसके चलते यहां पर आए दिन इतिहास से जुड़ी कुछ ना कुछ घटनाएं व तथ्य सामने आते रहते है जो लोगों की उत्सुकता को बढाती है। इसी बीच पिथौरागढ़ जिले के 110 किलोमीटर दूर और बेरीनाग तहसील से 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव सेलीपाख के भूमका नामक स्थान पर रहस्यमई गुफा मिली है जिसके अंदर एक विशालकाय मानव खोपड़ी और करीब दो फीट लंबी एक जांग की हड्डी भी बरामद हुई है। इतना ही नहीं बल्कि गुफा में अन्य संरचनाएं भी बनी हुई है जिसकी खोज चौकोड़ी निवासी तरुण मेहरा ने की है।
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार बीते 18 मई को गुफा खोजकर्ता तरुण मेहरा ने बताया कि भूमका नामक स्थान पर एक विशाल रहस्यमय और खौफनाक प्राकृतिक सिंकहोल मौजूद है जो केवल एक भूगर्भीय संरचना नहीं है बल्कि एक जीती जाती लोककथा रोमांच भय इतिहास और संभावनाओं को समेटे हुए हैं जिसकी बनावट चूना पत्थर से तैयार की गई है । ऐसा माना जा रहा है कि चूना पत्थर के पहाड़ पथरीले ढलान और स्वाभाविक रूप से बनी हुई है जो इसकी पहचान को उजागर करती है। चूना पत्थर की खासियत यह है कि इसमें पानी के कारण धीरे-धीरे कटाव होता है जिससे गुफा सुरंग और सिंकहोल की संरचनाएं तैयार होती हैं। भूमका वाप भी ऐसा ही सिंकहोल है जो पहले छोटा था लेकिन समय के साथ इतना विशाल हो गया कि यह करीब 60 फीट की गहराई तक सीधा उतरता है फिर एक ढलान के रूप में 200 फीट तक भीतर जाता है।
भूतिया गुफा माना जाता है सुरंग को
इसका रहस्य और स्थानीय लोक कथाएं ये है कि स्थानीय लोग दशकों से इस गड्ढे को भूतिया मानते हैं जबकि बुजुर्गों का कहना है कि यहां पर ब्रह्मराक्षस रहता था जो लोगों को गड्ढे में खींचकर खा जाता था। इतना ही नहीं बल्कि बहुत से लोगों ने यहां पर लोहे की विशाल चेने देखी थी जिससे लोगों को बांधकर रखा जाता था। जिसका दावा एक महिला ने बचपन में इसे देखने का किया है। यहां तक की एक बार एक बकरी इस गुफा में गिर गई थी जिसे गांव वालों ने कई घंटे ढूंढा इसके बाद रस्सी और फंदे से खींचकर उसे बाहर निकाला गया। गुफा के इतिहास और प्राचीन मार्ग के विषय में ऐसा कहा जाता है कि यह क्षेत्र प्राचीन सिल्क रुट रेशम मार्ग के पास है जिसका उपयोग व्यापारी सैनिक या साधु संतों की ओर से आवागमन के लिए किया जाता रहा होगा बताते चले विशाल मानव खोपड़ी और लोहे की चेन तथा अस्थियों की वैज्ञानिक जांच से अतीत के अनेक रहस्य सामने आ सकते हैं। इतना ही नहीं बल्कि हिमालय भू विज्ञान सिंकहोल संरचनाओं और मानव सभ्यता के विकास में सहायक हो सकती है जिससे न केवल रहस्य का पता लगेगा बल्कि यह क्षेत्र के लोगों के लिए एक अवसर भी हो सकता है जो इतिहास को समझने के साथ-साथ रोमांच को महसूस करने और गांव की आर्थिक व्यवस्था को सशक्त बनाने का एक जरिया बन सकता है जिसके कारण क्षेत्र की भविष्य में राष्ट्रीय पहचान के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हो सकती है। इससे पहले पिथौरागढ़ जिले में दो दर्जन से ज्यादा गुफाओं की खोज हो चुकी है।
रचना भट्ट एक अनुभवी मिडिया पेशेवर और लेखिका हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने पत्रकारिता में मास्टर डिग्री प्राप्त की है और समाज, संस्कृति समसामयिक मुद्दों पर अपने विश्लेषणात्मक लेखन के लिए जानी जाती हैं।