Shrikhand Kailash Yatra 2025 : श्रीखंड कैलाश यात्रा में सिक्स सिग्मा की अनूठी पहल, 18,570 फीट पर सैकड़ों श्रद्धालुओं को जीवनदान
Shrikhand Kailash Yatra 2025 With dr. Sapna budhlakoti team: श्रीखंड महादेव (हिमाचल)। आस्था की कठोर परीक्षा माने जाने वाली श्रीखंड महादेव यात्रा में इस वर्ष सिक्स सिग्मा हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सर्विसेज ने एक नई मिसाल पेश की है। 18,570 फीट की ऊंचाई पर टीम ने 94 घंटे में 70 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई पूरी कर सैकड़ों तीर्थयात्रियों को आपातकालीन चिकित्सा सेवा प्रदान कर उनकी जान बचाई।

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श्रीखंड महादेव हिमालय की गोद में स्थित वह दिव्य स्थल है जहां शिवलिंग सदैव बर्फ से ढका रहता है। यह यात्रा न केवल तीर्थ बल्कि मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक परीक्षा का प्रतीक मानी जाती है, जो वर्ष में कुछ ही दिनों के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलती है।
सिंघाड़ बेस कैंप बना सेवा का केंद्र
18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित सिंघाड़ बेस कैंप में सिक्स सिग्मा की अत्याधुनिक मेडिकल यूनिट ने AMS, थकावट, हाइपोक्सिया, डीहाइड्रेशन जैसी समस्याओं से जूझ रहे यात्रियों को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई। टीम ने यात्रा मार्ग पर 30 ‘संजीवनी किट’ वितरित कीं, जिनमें मेडिकल ऑक्सीजन, जीवनरक्षक दवाएं, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, थर्मल कंबल और प्राथमिक चिकित्सा उपकरण शामिल थे। इससे स्थानीय टेंट और गेस्ट हाउस भी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र के रूप में कार्य कर सके।
प्रशासनिक समन्वय से मजबूत हुआ सेवा तंत्र
सिक्स सिग्मा के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने निर्मंड के एसडीएम मनमोहन से भेंट कर यात्रा के दौरान मोबाइल मेडिकल यूनिट स्थापित करने का सुझाव दिया। साथ ही यात्रियों के प्रारंभिक मेडिकल चेकअप, पंजीकरण और रूट प्लानिंग को लेकर भी रणनीति साझा की गई।
अनुभवी टीम ने संभाली जिम्मेदारी
इस मिशन का नेतृत्व डॉ. अनीता भारद्वाज, डॉ. सपना बुधलाकोटी, डॉ. सौविक दत्ता, डॉ. संजीव गोयल, नमन, संजीव कुमार, लक्की बुधलाकोटी सहित अनुभवी विशेषज्ञों और कर्मवीरों ने किया।
डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने कहा,
> “हम वहाँ सेवा देने गए जहाँ साँसें भी डरती हैं, ताकि कोई भक्त अपने आराध्य से मिलने से वंचित न रहे। श्रीखंड केवल पर्वत नहीं, यह आस्था की परीक्षा है, और सेवा ही हमारा उत्तर है। जहाँ सीमाएँ समाप्त होती हैं, वहाँ सेवा आरंभ होती है।”
सिक्स सिग्मा की यह पहल न केवल मेडिकल सेवा बल्कि त्याग, तपस्या और त्रिकाल सेवा का उदाहरण बन चुकी है। यात्रा में शामिल यात्रियों और प्रशासन ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह कठिन परिस्थितियों में जीवन रक्षक बनकर उभरी है।
जय हिंद।
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