कोटद्वार: गरीबी के चलते श्रमिक पिता नहीं दे सका किताबे छात्र ने की खुदखुशी
देहरादून: आज गरीबी और अपनी बदहाली के चलते ना जाने कितने विद्यार्थी अपने विद्यार्थी जीवन को तनाव ग्रस्त कर देते है और कुछ तो अपनी जीवन लीला ही ख़त्म कर देते है। कोटद्वार भाबर के ग्राम पंचायत दुर्गापुर के खूनीबड़ गांव की वो घटना जहाँ अपने स्वर्णिम भविष्य के सपने संजोए गरीब परिवार के दसवीं के छात्र सौरभ को जब स्कूल जाने के लिए किताबें नहीं मिलीं तो उसने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
खूनीबड़ निवासी रविंद्र सिंह यही मजदूरी कर के अपने परिवार का भरण पोषण करता है। रविंद्र सिंह के चार बच्चे है जिनमे दो लड़के और दो लड़किया है।जिनमे सौरभ सबसे बड़ा था जो की राजकीय हाईस्कूल जीवानंदपुर में दसवीं में पढ़ रहा था। घर की स्थति इतनी बदहाल हो गयी थी की दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ तो हो जाता लेकिन सौरभ की पढ़ाई के लिए किताबें नहीं थीं।
नए सत्र में भी नहीं थी किताबे – ग्रीष्मकालीन अवकाश समाप्त होने के बाद स्कूल खुलने पर भी वह बिना किताबों के ही स्कूल जा रहा था। स्कूल में अपने सहपाठियों के पास किताबें देखता और रोज उनसे किताबो के लिए कहता तो उसे कोई अपनी किताबे नहीं देता, वह लगातार अपने पिता से किताबें दिलाने की मांग कर रहा था, लेकिन मजदूर पिता अपनी गरीबी के चलते उसे किताबें नहीं दिला पा रहा था।
कमरा नहीं खुला तो हुआ संदेह – कल सुबह एक बार फिर सौरभ ने अपने पिता से किताबों की मांग की। पिता ने पैसे न होने की बात कहते हुए किसी तरह उसे मनाया और स्कूल जाने की सलाह दी इसके बाद वह मजदूरी ढूंढने के लिए निकल गया सौरभ उसके बाद स्कूल ही नहीं गया। जब दिन में पिता काम नहीं मिलने के कारण घर लौटा तो बेटे का कमरा अंदर से बंद मिला।
काफी आवाज और दरवाज खटखटाने के बाद भी जब दरवाज नहीं खुला तो किसी अनहोनी की आशंका हुई और उसने दरवाजा तोड़ डाला। दरवाजा टूटते ही देखा तो कमरे के अंदर बेटे का शव गले पर साड़ी के फंदे के सहारे पंखे से लटका हुआ था।
उसे फिर भी बचे के जिन्दा हनी की उम्मीद थी और उसे पंखे से नीचे उतारा, तो उसे मृत पाया। ग्रामीणों के द्वारा पुलिस को घटना की सूचना दी गयी।
