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उत्तराखण्ड: पहाड़ में गर्भवती महिला को नहीं मिला वाहन तो पुलिस के जवानों नेे पहुंचाया अस्पताल

उत्तराखण्ड पुलिस (uk police) के जवानों ने सूझ-बूझ ‌का परिचय देकर पहुंचाया गर्भवती महिला को समय से अस्पताल..

उत्तराखंड पुलिस इन दिनों न सिर्फ कोरोना वारियर्स के रूप में 24 घंटे कार्य कर रही है बल्कि जरूरतमंदों की मदद कर मानवता की मिशाल भी पेश कर रही है। ताजा मामला राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले का है जहां उत्तराखण्ड पुलिस (uk police) के जवानों ने एक प्रसव पीड़िता को समय पर निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाया और असहाय परिजनों की मदद की। जी हां.. हम बात कर रहे हैं पौड़ी गढ़वाल जनपद में तैनात उत्तराखण्ड पुलिस के हेड कांस्टेबल आनंद सिंह और कांस्टेबल संजय कैंतुरा की, जिन्होंने समय पर अपनी सूझ-बूझ ‌का परिचय देकर न सिर्फ एक प्रसूता को अस्पताल पहुंचाया अपितु जच्चा-बच्चा दोनों की जान भी बचाई। अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा महिला का सुरक्षित प्रसव कराया और महिला ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। नवजात शिशु को देखकर प्रसूता और उसके परिजन काफी खुश हैं तथा बार-बार पुलिस के उन दोनों जवानों का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। क्षेत्रवासियों ने भी जवानों की इस सूझ-बूझ तथा सराहनीय कार्य की जमकर प्रशंसा की है।


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उत्तराखण्ड पुलिस (uk police) के जवानों ने बचाई जच्चा-बच्चा की जान:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के थलीसैंण क्षेत्र के बूंगीधार गांव निवासी विकास की पत्नी जमुना देवी को बीते बुधवार की सुबह करीब सात बजे प्रसव पीड़ा हुई। बताया गया है कि गांव से थलीसैंण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 50 किमी दूर है तथा एक अन्य सीएचसी देघाट 20 किमी दूर था परन्तु वह अल्मोड़ा जिले में आता है। लॉकडाउन के कारण प्रसूता के परिजन काफी परेशान थे, उन्हें इस मुश्किल हालात में कुछ भी सूझ नहीं रहा था कि कैसे जमुना को अस्पताल पहुंचाया जाए? काफी देर तक आपस में विचार विमर्श करने के बाद भी जब उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो उन्होंने थक-हारकर बुंगीधार सेक्टर में तैनात हेड कांस्टेबल आनंद सिंह और कांस्टेबल संजय कैंतुरा से मदद की गुहार लगाई। प्रसव पीड़िता की हालत देखकर पुलिस के इन दोनों जवानों ने महिला को देघाट स्थित अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया और सूझबूझ का परिचय देते हुए महिला एवं उसके परिजनों को अपने निजी वाहन से ही देघाट अस्पताल भेज दिया, जहां महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। इस तरह पुलिस के जवानों ने एक बार फिर विपदा की घड़ी में जरूरतमंद की मदद कर न सिर्फ मानवता की मिशाल पेश की बल्कि जच्चा-बच्चा की जान भी बचाई।




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