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उत्तराखण्ड

बागेश्वर

नहीं मिला प्रसव पीड़िता को रक्त तो उत्तराखण्ड पुलिस की एसआई निशा पांडे ने रक्त देकर बचाई जान

uttarakhand: सब इंस्पेक्टर निशा ने जिला अस्पताल में एक यूनिट रक्त देकर बचाई जच्चा-बच्चा की जान..

उत्तराखंड पुलिस को यूं ही मित्र पुलिस नहीं कहा जाता, वरन लाॅकडाउन के इस समय में आपको हजारों ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जो पुलिस के इस नाम की सार्थकता‌ को भली-भांति सिद्ध करते हैं। अपनी इन तस्वीरों से पुलिस ने न केवल जरूरतमंदों की मदद की है अपितु मानवता का संदेश भी दिया है। ऐसी ही एक तस्वीर आज राज्य के बागेश्वर जिले से सामने आ रही है जहां एक महिला एसआई ने उस समय अपना रक्तदान किया जब एक गर्भवती महिला को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। इस तरह समय रहते रक्त मिल जाने से न केवल उस महिला की जान बच गई बल्कि कुछ ही समय बाद उसने एक स्वस्थ बच्चे को भी जन्म दिया। जी हां… हम बात कर रहे हैं राज्य के बागेश्वर जिले में तैनात उत्तराखंड पुलिस की महिला एसआई निशा पांडे की, जो इस वक्त एक जीवनदायिनी बनकर सामने आई है। एस‌आई निशा के इस कार्य की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। गर्भवती महिला के परिजन भी एस‌आई निशा की इस मदद के लिए एस‌आई के साथ ही बागेश्वर पुलिस को धन्यवाद देते नहीं थक रहे।


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रक्त चढ़ने के बाद गर्भवती महिला ने दिया एक स्वस्थ बच्चे को जन्म:-

बता दें कि मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले के कौसानी की रहने वाली निशा पांडे उत्तराखण्ड पुलिस में तैनात हैं। वर्तमान में वह बागेश्वर पुलिस में बतौर एस‌आई अपनी सेवाएं दे रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के कपकोट तहसील निवासी गीता देवी को जब प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो परिजन उसे 108 आपात सेवा की मदद से जिला अस्पताल लाए। यहां डॉक्टरों के द्वारा की गई जांच में पता चला कि गीता का हिमोग्लोविन काफी कम था। बताया गया है कि डॉक्टरों ने परिजनों से रक्त की व्यवस्था के बाद ही प्रसव कराने का सुझाव दिया। जिसके बाद परिजनों की चिंता और बढ़ गई और वे इधर-उधर फोन घुमाकर अपने चिर-परिचितों से रक्त की गुहार लगाने लगे। जैसे ही इस बात की जानकारी जिले में संचालित रेडक्रास सोसायटी को मिली तो उन्होंने यह बात अपने सोशल मीडिया अकाउंट में डाल दी कि बी पोजेटिव रक्त की एक गर्भवती महिला को अत्यंत आवश्यकता है। सूचना मिलते ही एसआई निशा पांडे ने जिला अस्पताल में पहुंचकर एक यूनिट रक्तदान किया। जिससे न सिर्फ गीता की जान बच गई अपितु रक्त चढ़ाने के बाद प्रसव पीड़िता ने एक स्वस्थ्य बालक को जन्म दिया।


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