Kapkot sainik school result 2024: पहाड़ में स्थित सरकारी स्कूलों को नई राह दिखा रहा यह विद्यालय, यहां के बच्चे हासिल कर रहे ऊंचे ऊंचे मुकाम, प्रवेश पाने के लिए देना होता है एंट्रेस एग्जाम….
उत्तराखण्ड, विषम भौगोलिक परिस्थितियों से घिरा एक ऐसा राज्य है जहां सड़क, शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी ना होने के कारण सर्वाधिक पलायन होता आया है। लेकिन अब धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रहीं हैं जिन पहाड़ के स्कूलों पर लोग अच्छी शिक्षा मुहैया ना कराने का आरोप लगाते हुए शहरों की ओर पलायन करते रहते हैं आज पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित वहीं स्कूल कमाल कर रहे हैं। इसकी सबसे अच्छी तस्वीर बागेश्वर जिले के राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट की है, जहां से लगातार बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर रहे हैं। बीते रोज घोषित हुए सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की प्रवेश परीक्षा के परिणामों में भी इस विद्यालय के 40 छात्र छात्राओं ने सफलता हासिल की है। सबसे खास बात तो यह है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इससे पूर्व वर्ष 2022 में भी इस स्कूल के 22 छात्रों ने ऑल इंडिया सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा क्वालीफाई किया था।
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आपको बता दें कि वर्ष 2016 में आदर्श विद्यालय का दर्जा हासिल करने वाले इस स्कूल की कमान प्रधानाध्यापक केडी शर्मा के हाथों में है। अपनी कड़ी मेहनत से वह न केवल लगातार इस स्कूल को बेहतर बना रहे हैं बल्कि इस स्कूल के बच्चे भी अब शहरों में स्थित बड़े बड़े स्कूलों की तरह नए नए मुकाम हासिल कर रहे हैं। दूरस्थ क्षेत्र में स्थित इस विद्यालय के छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में सैनिक स्कूल के साथ ही नवोदय के लिए भी चयनित हो रहे हैं। पहाड़ के अधिकांश सरकारी स्कूलों में जहां छात्र छात्राओं की कमी के कारण ताले लटकाने की नौबत आ रही है वहीं यह एक ऐसा सरकारी स्कूल हैं जहां पहली कक्षा से प्रवेश के लिए बच्चों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। इतना ही नहीं इस स्कूल में प्रवेश पाने के लिए बच्चों को एंट्रेंस एग्जाम भी देना पड़ता है।
स्कूल की इन उपलब्धियों पर राज्य के शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी का कहना है कि ऐसी सफलता की कहानियाँ और भी हैं जो हमें प्रेरित भी करती हैं और ऊर्जीकृत भी। आपको बता दें कि इस विद्यालय की तस्वीर ऐसे ही नहीं बदली है बल्कि इसके प्रधानाध्यापक ख्याली दत्त शर्मा, शिक्षक मंजू गढ़िया, हरीश ऐठानी व अजय तिवारी की कड़ी मेहनत और लगन है, जो सुबह छह से रात 10 बजे तक अध्यापन के लिए उपलब्ध रहते हैं। इतना ही नहीं शिक्षक छह घंटे की ड्यूटी के बाद सात से आठ घंटे तक विद्यालय में रहकर बच्चों की एक्स्ट्रा क्लास लेते हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बच्चों की निशुल्क तैयारी भी कराते हैं।
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