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Anusuya Devi Story Chamoli

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चमोली

Anusuya Devi Story Chamoli: चमोली मां सती अनुसूया के मंदिर में होती है संतान सुख की मन्नत पूरी

Anusuya Devi Story Chamoli: त्रिदेवों ने ली थी मां अनुसूया की परीक्षा, सतीत्व एवं पतिव्रत धर्म से प्रसन्न होकर त्रिदेवियों ने दिया था मां अनुसूया को सूनी कोख भरने का वरदान….

Anusuya Devi Story Chamoli
देवभूमि अपने अनेक पौराणिक और धार्मिक स्थलों के लिए पूरे विश्वभर में बेहद प्रसिद्ध है क्योंकि यहाँ पर ऐसे बहुत सारे मन्दिर स्थित है जो अपनी विशेष अलौकिक चमत्कारी शक्तियों के लिए देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाने जाते हैं और इतना ही नही देवभूमि मे ऐसे चमत्कार होते है जिनकी आपने पहले कभी कल्पना भी नही की होगी। ऐसे ही अविश्वसनीय चमत्कारी शक्तियों के लिए जाना जाता है चमोली जनपद मे स्थित मां सती अनुसूया देवी का मन्दिर जहाँ पर हर वर्ष देशभर से निसंतान दंपति संतान सुख प्राप्ति हेतु कामना करने पहुँचते है और ऐसा कहा जाता है कि माता उन्हें कभी खाली हाथ वापिस नहीं लौटाती।
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Anusuya Devi Mandir Chamoli
आपको जानकारी देते चलें माता अनुसूया देवी का भव्य मंदिर चमोली जनपद के जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 10 किलोमीटर की दूरी पर मंडल गांव में स्थित है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भी निसंतान दंपत्ति यहां पर संतान सुख की प्राप्ति हेतु कामना करते हैं उनकी यह कामना माता अवश्य पूरा करती है इसलिए यहां पर हर वर्ष देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पहुँचा करते है। बता दें यहां निसंतान महिलाओं द्वारा रात भर संतान प्राप्ति के लिए मां अनुसूया की आराधना की जाती है संतान कामना की आशा को लेकर यहां पहुंचने वाली महिलाओं को बरोही कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिस महिला की गोद हरी होनी रहती है उन्हें माता अनसूया मंदिर के अंदर ही स्वप्न में दर्शन देती है। जिसके बाद महिलाओं को तत्काल स्नान करना पड़ता है और बाद मे मंदिर में ही कीर्तन भजन करना होता है। तब प्रातः काल के दौरान पुजारी महिलाओं को प्रसाद के रूप में श्रीफल प्रदान किया करते है।
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ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने ली थी माता की परीक्षा:-

Anusuya Mata Mandir Chamoli
अनुसूया माता मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यह स्थान बद्री और केदारनाथ के बीच स्थित है। महर्षि अत्रि मुनि की पत्नी अनसूया की महिमा जब तीनों लोक में होने लगी तो पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के अनुरोध पर परीक्षा लेने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश पृथ्वी लोक पहुंचे थे। इसके बाद उन तीनों ने साधु भेष मे अनुसूया के सामने निर्वस्त्र होकर भोजन कराने की शर्त रखी थी। दुविधा की इस घड़ी में जब माता ने अपने पति अत्रि मुनि का स्मरण किया तो सामने खड़े साधुओं के रूप में उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश खड़े दिखाई दिए। इसके पश्चात उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर तीनों साधुओं पर छिड़का तो वह 6 महीने के शिशु बन गए थे। इतना ही नहीं माता ने शर्त के मुताबिक न सिर्फ उन्हें भोजन कराया बल्कि उन्हें स्तनपान भी कराया था। वही पति के वियोग में तीनों देवियां दुखी होने के पश्चात पृथ्वी लोक पहुंची और माता अनुसूया से क्षमा याचना की। तभी तीनों देवों ने भी अपनी गलती स्वीकार कर माता की कोख से जन्म लेने का आग्रह किया और यही नहीं माता को दो वरदान भी दिए। इससे उन्हें दत्‍तात्रेय, दुर्वासा ऋषि और चंद्रमा का जन्‍म हुआ, तो दूसरा वरदान माता को किसी भी युग में निसंतान दंपती की कोख भरने का दिया। यही वजह है कि यहां जो कोई भी संतान की कामना के लिए आता है, वह कभी खाली हाथ नहीं रहता।

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