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फोटो सोशल मीडिया Phooldei fastival 2025 date

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Phool Dei Festival 2025 Date: उत्तराखंड में लोकपर्व फूलदेई त्यौहार 2025 कब है ??

Phooldei fastival 2025 date : उत्तराखंड का प्रसिद्ध बाल लोक पर्व फूलदेई त्यौहार 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा, घरों की देहली पर बच्चे डालेंगे रंग बिरंगे फूल………….

Phooldei fastival 2025 date: उत्तराखंड अपनी लोक संस्कृति लोक परंपरा व लोक पर्वों के लिए पूरे विश्व भर में अलग पहचान रखता है जिसके चलते यहां की संस्कृति समेत त्योहार विश्व भर के लोगों को अपनी ओर बेहद आकर्षित करते हैं। ऐसा ही कुछ लोकप्रिय लोक पर्व है फूलदेई जो चैत्र मास की संक्रांति से शुरू हो जाता है ।

दरअसल यह त्यौहार बच्चों के लिए विशेष रूप से खास माना जाता है क्योंकि इस दिन छोटे बच्चे लोगों के घरों की देहली पर रंग-बिरंगे फूल डालते हैं जिसे शुभता का प्रतीक माना जाता है। इस बार फुलदेई का त्यौहार 14 मार्च से शुरू होने वाला है जो सनातन नव वर्ष के और बसंत के स्वागत का प्रतीक माना जाता है।

happy phool dei 2025 image बता दें उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में मनाया जाने वाला लोक पर्व फूलदेई इस वर्ष 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। जिसके चलते छोटे-छोटे देवतुल्य बच्चे लोगों की घरों की देहली पर फूल अर्पित करते हुए फिर से नजर आने वाले हैं। दरअसल यह त्यौहार नव वर्ष और बसंत का प्रतीक माना जाता है जो सभी लोगों के जीवन मे खुशियां लेकर आता है।

इस त्यौहार को चैत्र संक्रांति अष्टमी से लेकर अप्रैल वाली बैसाखी तक मनाया जाता है जिसमें बच्चे फूल तोड़ कर लाते हैं और पारंपरिक पोषाको में लोकगीत गाते हुए रंग-बिरंगे फूलों को हर घर की देहरी पर रखते हैं ऐसे करते हुए बच्चे पूरे गांव के घरों की देहरी को फूलों से सजा देते हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस दिन घोघादेवी की पूजा भी की जाती है। इस त्यौहार पर विशेष रूप से फ्योंली और बुरांस के फूलो का प्रयोग किया जाता है।

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Happy phool dei 2025 best wishes बताते चले कुमाऊं और गढ़वाल में पूरे 8 दिनों तक फूल देई मनाया जाता है जबकि गढ़वाल के कुछ इलाकों में चैत्र के पूरे महीने फूल देई मनाया जाता है जिसमें प्रकृति के रंगों का आनंद लिया जा सकता है।

फूलदेई लोक पर्व उत्तराखंड की प्राचीन संस्कृति से आज भी लोगों को जोड़ो हुए हैं जिसके कारण ही इस त्यौहार पर लोगों की घरों की चौखटें रंग-बिरंगे फूलों से महकती रहती हैं। इस पर्व के दौरान बच्चे लोकगीत गाते हैं फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार’ जिसका अर्थ है भगवान देहरी के इन फूलों से सबकी रक्षा करें और घरों में अन्न के भंडार कभी खाली न होने दें।

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पर्व की मान्यता phooldei festival of uttarakhand images 2025:-

उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक पर्व फूलदेई को भगवान शिव और पार्वती को समर्पित किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अपनी समाधि में कई युगों से लीन थे जिसके तहत कई मौसम गुजरने के बाद भी माता पार्वती और शिवगणो को शिव दर्शन नहीं हो पाए तब माता पार्वती ने समाधि से जगाने के लिए एक युक्ति निकाली जिसके कारण माता पार्वती ने कैलाश के सबसे पहले खिलने वाले फ्योंली फूलों से शिव गणो को सुसज्जित कर उन्हें अबोध बच्चों को प्रदान किया इसके बाद माता ने सभी अबोध बच्चों को देवताओं की पुष्प वाटिका से खुशबूदार सुंदर फूल तोड़ लाने को कहा और इन पुष्पो को सबसे पहले भगवान शिव की तंद्रालीन मुद्रा को अर्पित किया गया जिसे फूलदेई कहा गया ।

इतना ही नहीं बल्कि पूरा कैलाश इन फूलों की सुगंध से महकने लगा और भगवान शिव ने भी अपनी समाधि तोड़कर प्रसन्न होकर इस पर्व में शामिल होने का निर्णय लिया। ऐसा कहां जाता है कि भगवान शिव को माता पार्वती द्वारा यह पुष्प आज भी अबोध बच्चों के रूप में समर्पित किए जाते हैं।

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