Uttarakhand wedding Bride: बेरोजगारी के कारण कुंवारे बैठे है युवा, 30 साल की उम्र पार करने के बाद भी नहीं मिल रही शादी के लिए लड़कियां…
Uttarakhand wedding Bride: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले युवाओं का जीवन जीना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है इतना ही नहीं बल्कि 30 साल की उम्र पार होने के बावजूद भी कई सारे युवा अभी भी कुंवारे बैठे हैं जिसकी वजह कहीं ना कहीं बेरोजगारी या फिर प्राइवेट नौकरी को माना जा रहा है। अपने कुंवारे बच्चों की शादी करवाना माता-पिता के लिए भी एक चुनौती बनकर उभर रहा है जिससे उन्हें अब यह चिंता सताने लगी है कि उन्हे विवाह करने के लिए अपनी लड़की कौन देगा। दरअसल पहाड़ों में वैसे ही रोजगार के बहुत कम साधन है हालांकि पहले युवा फौज में भर्ती हो जाते थे लेकिन अग्नि वीर योजना शुरू होने के कारण अब युवा फौज में काफी कम रुझान दिखा रहे हैं। बताते चले नौकरी करने के लिए युवा आए दिन शहरों की ओर रुख कर रहे हैं लेकिन उन्हें वहां पर ऐसी नौकरी मिलती है कि जिससे उनका घर खर्च भी ठीक से नहीं चल पाता है जबकि कई युवा पारिवारिक जिम्मेदारी के चलते अपने गांव में ही रुक जाते हैं।
बता दें वर्तमान में जो लड़कियां पहाड़ में भी रह रही हैं उनकी डिमांड भी हाई-फाई है जिसके चलते उन्हें विवाह करने के लिए सरकारी नौकरी या अच्छे पैकेज पर काम करने वाले लड़के ही चाहिए जिन्हें वो तवज्जो दे रही है हालांकि जो युवा पहाड़ों पर रहकर अच्छा कारोबार और कमाई कर रहे हैं लड़कियां उन्हें भी जीवनसाथी चुनने से कतरा रही है जिसके कारण समाज विसंगति से तनाव अकेलापन डिप्रेशन जैसी स्थितियों की ओर आगे बढ़ रहा है। ऐसा ही कुछ पहला मामला है अल्मोड़ा जिले के रानीखेत के रहने वाले 32 वर्षीय नवीन सिंह का जिन्होंने BA की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव में रहकर ही खेती और फल उत्पादन को जीवन का आधार बनाया है लेकिन जब उनके रिश्ते की बात आती है तो लोग उनसे पूछते हैं कि नौकरी कहां है और पैकेज कितना है। उस दौरान उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे वह कोई जॉब इंटरव्यू देने आए हैं। यह बात तय है कि लोगों की किसी की मेहनत और ईमानदारी नहीं दिखती बल्कि दिखता है तो सिर्फ उसका बैंक बैलेंस और मोटी सैलरी ।
दूसरा मामला : ऐसा ही कुछ दूसरा मामला है 32 वर्षीय सुनील नेगी का जिन्होंने नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रहकर कुछ समय तक नौकरी की लेकिन मां का स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण वह वापस गांव लौट आए जिस पर उनका कहना है कि उन्हें लगा कि वह माता-पिता के पास रहकर खेती-बाड़ी कर लेंगे लेकिन जब उनके विवाह की बात आती है तो लोग उन्हें ताना कसते हैं कि गांव में रहकर क्या करोगे।
तीसरा मामला : अल्मोड़ा जिले के भिकियासैण के 34 वर्षीय दीपक टम्टा का भी कुछ यही हाल है जो यहाँ छोटे से गांव में रहते हैं लेकिन हर बार रिश्ते की बात कहीं ना कहीं अटक जाती है दीपक की अभी पक्की नौकरी नहीं है जिसके कारण वो ऐसा सोचते हैं कि अकेला रहना ही ठीक है। इस तरह के यह कोई एक दो मामले नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश में इस तरह के मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिस पर युवाओं को नहीं बल्कि समाज की सोच को बदलने की आवश्यकता है जो अपनी बेटी के लिए सिर्फ सरकारी नौकरी और अच्छे पैकेज वाले लड़के ढूंढ रहे हैं। बताते चले पहले लोग शादी के लिए गुण संस्कार और परिवार देखते थे लेकिन अब सिर्फ नौकरी और पैसे को देखा जाता है जिसके चलते यह बदलाव लगातार समाज को दूसरी राह की ओर ले जा रहा है।