Uttarakhand minor pregnant responsibility: दुष्कर्म से गर्भवती हुई नाबालिक तो सरकार उठाएगी जिम्मेदारी, 23 साल की उम्र तक पीड़िता को दिए जाएंगे प्रतिमाह ₹4000 ..…
Uttarakhand minor pregnant responsibility: उत्तराखंड मे लगातार दुष्कर्म जैसे बढ़ते अपराधों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है कि दुष्कर्म के बाद यदि नाबालिक गर्भवती होती है तो उसके पालन पोषण से लेकर आत्मनिर्भर बनाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार उठाएगी जिसके लिए नाबालिक को 23 साल की उम्र तक प्रतिमाह ₹4000 पोषण भत्ता दिया जाएगा। दरअसल इस समय राज्य में दुष्कर्म का शिकार होकर मां बनने वाली किशोरियों की संख्या 72 है जिनके लिए इसी वित्तीय वर्ष मे तीन जिलों के लिए एक-एक लाख रुपए का बजट जारी हो चुका है। कुछ लोगों द्वारा सरकार के इस फैसले की सराहना की जा रही है तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सरकार को प्रदेश में बढ़ते दुष्कर्म की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।
यह भी पढ़े :सीएम पुष्कर सिंह धामी की श्रीनगर के लिए 13 बड़ी घोषणाएं
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार दुष्कर्म पीड़िता यदि गर्भवती होती है तो प्रदेश में 23 साल की उम्र तक सरकार द्वारा उसे प्रतिमाह ₹4000 पोषण भत्ता तो दिया ही जाएगा लेकिन इसके साथ ही उसे एकीकृत चिकित्सा, कानूनी सहायता, आवास शिक्षा, कौशल विकास जैसी सुविधा भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी ताकि पोषण भत्ते की अवधि पूरी होने तक पीड़िता आत्मनिर्भर हो सके इस योजना के लिए राज्य के प्रत्येक जिले को 10 लाख रुपए का बजट दिया गया है । जानकारी के मुताबिक महिला एवं बाल कल्याण निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि विभाग ने केंद्र सरकार की 100% वित्त पोषित योजना के तहत पीड़ितों की देखभाल के लिए और सहायता के लिए व्यापक कार्यक्रम शुरू किया है जिसका उद्देश्य पीड़ित गर्भवती बालिकाओं को एकीकृत सहायता प्रदान करना है । जिसमें शिक्षा पुलिस सहायता से लेकर नवजात शिशु की देखभाल भी शामिल है। इसके तहत पीड़िता को परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सहायता सुरक्षित परिवहन मां बच्चे के लिए बीमा कवर मिशन वात्सलिया योजना के तहत संस्थागत या गैर संस्थागत देखभाल और अन्य सहायक सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी वित्त सहायता के अलावा बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट पर एकमुश्त ₹6000 रुपए की सहायता राशि भी प्रदान की जाएगी। जानकारी के मुताबिक यदि पीड़िता शिशु को जन्म देती है तो उसे 6 साल की आयु तक विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी में रखा जा सकता है और उसे तब तक एसएफ में रखा जा सकता है जब तक वह 18 साल की नहीं हो जाती। इतना ही नहीं बल्कि यदि पीड़िता शिशु को नहीं रखना चाहती है तो वह उसे शिशु गृह को सौंप सकती है जिसके लिए प्रत्येक पीड़ित बालिका और उसके नवजात शिशु का आधार कार्ड पंजीकरण जिला बाल संरक्षण कराएगी।
उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़िए।।