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Image: Vidya Bisht -Devbhoomi Darshan

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता- “म्यार पहाड़…” विद्या बिष्ट (काव्य संकलन – देवभूमि दर्शन)

कुमाऊंनी कविता- “म्यार पहाड़”…Vidya Bisht Poem: 

म्यार पहाड़….

आओ दगडियो तुम्गु हापु पहाड़े बार मे बतनु
जा हम आप कबे ना बल्कि तू कबे अपड़पन समझनू
सीद-साद छीन हम तबे तो सबुकु आपड़ समझनू
टूटी मकान मे दस्तूरे लिये खींची एपड़े रिखाड छीन
ज्येठे महिण घाम छूँ
पुषे महिण छाव छूँ बाजे लाखड़छीन अगेंठी राप छूँ
दाजू बैठे चाहा पाओ चीन के खाला टपूक लियो
यो म्यर पहाड़ छूँ
बाजे बोटो स्यो छूँ आगड़ ऊखो में द्याम छूँ
म्यर गोट में म्यर अम्मा बूबू छीन उनू दिगे म्यार भोतते माय छूँ
दाजू यो म्यर पहाड़ छूँ
म्यर अम्मा हाथ मे चाहा गिला छूँ एक हाथ मे मडुवे रवट दूसर हाथ मे गुडे टपुक छूँ
टूटी मुटी सड़क छीन फिल्ले भली कबे हिटनू हम
दाजू यो म्यार पहाड़ छू
वोरे बखाय घाम छूँ प्वारे बखाय स्यो छूँ
बीचमे म्यार मकान छूँ
सब्बू दिगे पछाड़ छूँ
ऊ म्यर भुल्ली ऊ म्यर दादी छीन
दाजू यो म्यर पहाड़ छूँ

रचना: विद्या बिष्ट , गरुड़ टीट बाजार बागेश्वर(Vidya Bisht Poem)

यह भी पढ़िए: कुमाऊंनी कविता- “ एक चैलिक आवाज…” रिया नगरकोटी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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