Himachal Viral Marriage : एक दुल्हन से दो सगे भाइयों ने रचाई शादी, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो, चर्चाओं में अनोखी प्रथा…
Himachal Pradesh viral marriage sirmour shilai 2 brothers pradeep Kapil negi wedding: उत्तराखंड समेत देश भर में विभिन्न जाति समुदाय के लोग निवास करते हैं जिनकी अपनी कुछ विशेष संस्कृति और परंपराएं होती है जो कई सदियों से चली आ रही है। इतना ही नहीं बल्कि कुछ अनोखी प्रथाएं ऐसी होती है जो देश भर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। ऐसे ही कुछ अनोखी परंपरा का वीडियो वायरल हो रहा है हिमाचल प्रदेश से जहां पर दो सगे भाइयों ने एक ही दुल्हन से विवाह रचाया है। यह अनोखी शादी देशभर में काफी चर्चा का विषय बनी हुई है।
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई गांव के निवासी प्रदीप नेगी और कपिल नेगी दोनो सगे भाइयों ने कुन्हाट गांव की सुनीता चौहान से हाटी समुदाय की सांस्कृतिक विरासत से 12 13 व 14 जुलाई को धूमधाम से विवाह रचाया है। दरअसल बड़ा भाई प्रदीप जल शक्ति विभाग में कार्यरत है जबकि कपिल विदेश में नौकरी करता है। दोनों युवा शिक्षित व देश विदेश की दूरी होने के बावजूद सुनीता के साथ विवाह के पवित्र बंधन में बंधे हैं। प्रदीप का कहना है कि यह उनका सांझा निर्णय था। यह मामला विश्वास देखभाल और जिम्मेदारी का है जिसके चलते उन्होंने अपनी परंपराओं का खुले दिल से पालन किया क्योंकि उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ा रहना है। वहीं दूसरे भाई कपिल का कहना है कि हमने हमेशा पारदर्शिता में विश्वास किया मैं भले ही विदेशी रहता हूं लेकिन इस विवाह के माध्यम से हम एक संयुक्त परिवार के रूप में अपनी पत्नी के लिए समर्थन स्थिरता और प्यार सुनिश्चित कर रहे हैं।
जानें क्या कहा दुल्हन सुनीता ने
सुनीता चौहान ने कहा कि यह मेरी पसंद थी मुझ पर कभी भी इस शादी को लेकर दबाव नहीं डाला गया। मैं इस परंपरा को अच्छे से जानती हूँ और मैंने इसे अपनी स्वेच्छा से चुना है इसलिए मुझे हमारे बीच के बने बंधन पर पूरा भरोसा है। विभिन्न गांव में इस तरह के विवाह को गुपचुप तरीके से किया जाता है और यह उन्हीं मामलों में से एक है जिसे परंपरा के तौर पर खुले में अपनाया गया है।
हाटी समुदाय उजला पक्ष ( बहुपति प्रथा)
हाटी समुदाय में इसे उजला पक्ष कहा जाता है यह परंपरा सदियों पुरानी है जिसमें एक महिला दो या दो से अधिक भाइयों की पत्नी बनती है हालांकि यह सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी मानी जाती थी विशेष कर तब जब खेती की जमीन का बटवारा रोकना जरूरी होता था। समय के साथ-साथ ये प्रथा अब कहीं ना कहीं समाप्त हो चुकी है लेकिन इस विवाह के बाद यह प्रथा फिर से चर्चा में आ गई है।