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7 people of same family of haridwar died in delhi dehradun expressway road saharanpur car Accident uttarakhand latest news today
Image : social media ( saharanpur car Accident haridwar)

UTTARAKHAND ROAD ACCIDENT

Saharanpur car Accident haridwar: हरिद्वार कार हादसे में एक ही परिवार के 7 लोगों की गई जिंदगी

saharanpur car Accident haridwar: कार पर पलटा बजरी से भरा डंपर, हादसे मे गई सात लोगो की जिंदगी, रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहा था परिवार…

7 people of same family of haridwar died in delhi dehradun expressway road saharanpur car Accident uttarakhand latest news today: उत्तराखंड के हरिद्वार से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आ रही है, जहां पर रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे परिवार के 7 सदस्य दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे पर उस समय काल के मुँह में समा गए जब उनकी कार के ऊपर बजरी से लदा डंपर पलट गया। जिसके चलते 7 लोगो की मौत हो गई। यह हादसा इतना भयावह था कि जिसने भी इस घटना की खबर सुनी उसके रोंगटे खड़े हो गए।

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Haridwar car Accident news today: अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गागलहेड़ी के निवासी मेडिकल स्टोर संचालक 25 वर्षीय संदीप सैनी के मामा ऋषिपाल सैनी निवासी मोहद्दीपुर की बीते गुरुवार की शाम मौत हो गई थी। जिसके बाद बीते शुक्रवार की सुबह उनका अंतिम संस्कार होना था। उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए संदीप अपनी मां 55 वर्षीय रानी , बहन जूली जीजा शेखर , भांजा 2 वर्षीय अनिरुद्ध निवासी जिला हरिद्वार के भगवानपुर छांगा मजरी के साथ, मौसेरे भाई विपिन निवासी दौलतपुर और भाई प्रदीप के ससुर उमेश सिंह निवासी महमूदपुर रावली हरिद्वार के साथ पंच कार मे जा रहे थे। तभी सुबह के 9:15 बजे जैसे ही उनकी कार दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे के सोना सैयद माजरा गांव के पास पहुँची तो देहरादून की तरफ से आ रहे बजरी से लदे ओवरलोड डंपर की चपेट में आ गई। इतना ही नहीं बल्कि बजरी से भरा डंपर उनकी कार पर पलट गया जिसके कारण सभी कार समेत बजरी के नीचे दब गए।

हिरासत मे डंपर चालक परिचालक 

जैसे ही इस घटना को आसपास के लोगों ने घटित होता देखा तो उन्होंने तुरंत पुलिस प्रशासन को घटना की जानकारी दी। हालांकि पुलिस के पहुंचने से पहले लोगों ने बजरी को हटाने का प्रयास किया लेकिन वह इसमें असफल रहे। इसके बाद उन्हें बजरी हटाने के लिए जेसीबी बुलानी पड़ी कई घन्टो की मेहनत के बाद एक एक कर सभी को बाहर निकाला गया लेकिन तब तक सातों की मौत हो चुकी थी। वहीं हादसे को अंजाम देने वाले डंपर चालक परिचालक को पुलिस प्रशासन द्वारा गिरफ्तार किया गया है।

महेंद्र सैनी को मिला जीवन भर का गम 

बताते चलें इस हादसे ने सोना सैयद माजरा के निवासी महेंद्र सैनी को जीवन भर के लिए ऐसा जख्म दिया है जो कभी नहीं भरने वाला। इस दर्दनाक हादसे में उन्होंने अपनी पत्नी बेटी बेटा दामाद दो साल के नाती साली के बेटे और समधी को खो दिया है। हादसे का शिकार हुए संदीप सैनी बस स्टैंड पर मेडिकल स्टोर चलाते थे जबकि उनके बड़े भाई प्रदीप किसी कंपनी में नौकरी करते थे। संदीप हंसमुख मिजाज के थे और अभी उनकी शादी भी नहीं हुई थी। जबकि उनके बड़े भाई प्रदीप की पिछले साल शादी हुई थी। बताते चलें जिस पंच कार मे हादसा हुआ वह प्रदीप को ही दहेज में मिली थी। हादसे में प्रदीप के ससुर उमेश की भी मौत हो गई। परिवार के सात लोगों को खोने से महेंद्र सैनी पूरी तरह से टूट गए हैं। महेंद्र अपने साले की मौत से पहले ही दुखी थे लेकिन अब उन्हे एक और ऐसा गम मिल गया है जिससे वो शायद ही कभी उभर पाए।

माँ बाप हुए हादसे का शिकार बच्चा बात से अंजान 

महेंद्र ने बताया कि उनके दामाद और बेटी दोनों कम उम्र में इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं, अब उनके नाती अभिनंदन का क्या होगा वह तो सिर्फ अभी 5 साल का ही है। बिना मां-बाप का बच्चा कैसे पलेगा ये सोच कर ही उनका दुख और बढ़ रहा है। बच्चा तो अभी तक इस बात से अनजान है कि उसके मां-बाप इस दुनिया से चल बसे हैं।

हादसे मे बुझ गया घर का इकलौता चिराग

बताते चले इस हादसे का शिकार हुए शेखर अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे जिनके पिता की भी मौत हो चुकी है। इस हादसे में शेखर की पत्नी जूली और दो साल के बेटे अनिरुद्ध ने भी दम तोड़ दिया। 6 साल का बड़ा बेटा स्कूल जाने की वजह से अपनी दादी के पास रह गया था जिस कारण उसकी जान बच गई। शेखर के परिवार मे अब बस उनकी माँ और बेटा रह गया है जिनके भरण पोषण का आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है।

मृतको के शव का हुआ अंतिम संस्कार

हादसे के बाद पोस्टमार्टम हाउस से संदीप और उनकी मां रानी के शव को पुलिस सुरक्षा में गांव पहुंचाया गया जहाँ पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं दूसरी ओर विपिन की चिता को अग्नि दी गई। जबकि बाकी चार शवो को उनके परिजन हरिद्वार लेकर चले गए।

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